केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज ऐजल, मिजोरम में भारत-म्यांमार सीमावर्ती राज्यों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास की गति को तेज करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। अन्तर्राज्यीय सड़क निर्माण, पूर्वोत्तर के शहरों को सड़क व हवाई मार्गों से जोड़ना, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और विभिन्न क्षेत्रों में शोध तथा उच्च स्तरीय संस्थानों की स्थापना के साथ आधारभूत संरचना के विकास पर विशेष बल दिया गया है। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जल्द ही पूर्वोत्तर के कई शहर ‘स्मार्ट नगर योजना’ के तहत विकसित किए जाएगें।
श्री राजनाथ सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि अऩ्तर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की विशेष आवश्यकताओं ध्यान में रखते हुए सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) विकास के अऩ्तर्गत आवंटित की जाने वाली राशि जो 2016-17 में 990 करोड़ रुपये थी उसे बढ़ाकर 2017-18 में 11 करोड़ रुपये किया गया है। बीएडीपी के अऩ्तर्गत 17 सीमावर्ती राज्य आते हैं। मिजोरम, मणिपुर, नगालैण्ड और अरुणाचल प्रदेश के लिए 567.39 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। 41 आदर्श गाँवों के समेकित विकास के लिए 92.36 करोड़ रुपये की राशि पिछले वित्त वर्ष में जारी की गई थी, जिसमें मणिपुर के तीन गाँव और नगालैण्ड का एक गाँव शामिल था। भारत-म्यांमार सीमा पर आधारभूत संरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए असम राइफल्स ने अपने क्रियाकलापों के लिए सड़कों के निर्माण तथा हवाई अड्डों की सुविधा का एक प्रस्ताव दिया है।
गृह मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के कल्याण तथा उनकी मूलभूत आवश्यकताएं बहुत महत्तवपूर्ण है। उन्होंने राज्य सरकारों को सलाह देते हुए कहा कि वे मूलभूत सुविधाओं तथा अवसंरचना यथा सड़क, ऊर्जा, संचार, स्वास्थ्य व शिक्षा आदि पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने सीमा प्रबंधन सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का आदेश दिया जो इन क्षेत्रों की सुविधाओं की कमी की पहचान करेगीं और इऩ्हें छोटी अवधि (3 वर्ष) मध्यम अवधि (3-6 वर्ष) तथा लंबी अवधि (6-10 वर्ष) के आधार पर वर्गीकरण करेगी। समिति को यह भी जिम्मेदारी दी गई है कि वह पूर्वोत्तर परिषद, केन्द्रीय स्रोत(एनएलसीपीआर) और बीएडीपी एवं राज्य सरकारों की सम्बंधित योजनाओं को उपरोक्त लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु एकीकृत करे। समिति 31 दिसम्बर, 2017 से पहले अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
गृह मंत्री ने आगे कहा कि अपने क्षेत्र के आन्तरिक भागों तथा अपने पड़ोसियों के साथ बेहतर सम्पर्क सुविधा से वस्तुओं, सेवाओं और लोगों की अबाध आवाजाही संभव हो सकेगी। बेहतर सम्पर्क सुविधा और म्यांमार के साथ अच्छे संबंधों से इस क्षेत्र में नये अवसरों का सृजन हो रहा है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र निकट भविष्य में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसलिए राज्यों को बेहतर तैयारी करनी चाहिए।
आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यद्यपि म्यांमार सीमा पर शांति है लेकिन मामला संवेदनशील है। गृह मंत्री ने कहा म्यांमार के साथ भारत के चार राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम 1643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और ये कई जगहों पर काफी जटिल है। दोनों देशों की सीमाओं से 16 किलोमीटर के अंदर लोगों को वीजा मुक्त आवाजाही की सुविधा दी गई है । दोनो तरफ अधिकृत संस्थाओं की अनुमति से वैधानिक परमिट के साथ लोग 72 घंटे तक रुक सकते हैं । इस तरह की व्यवस्था सीमा के दोनों तरफ सामाजिक रीति रिवाजों और संबंधों को देखते हुए की गई है। इसके जरिए सीमा के दोनों तरफ लोग एक दूसरे से मिलते जुलते हैं लेकिन ये देखा गया है कि आतंकी और अपराधी इसकी आड़ में हथियारों, ड्रग्स,प्रतिबंधित सामानों और जाली भारतीय करेंसी नोटों की तस्करी करते हैं। सरकार और सुरक्षा बलों की सक्रियता से बहुत सारे आतंकी सीमा को दोनों तरफ इधर-उधर छिपे हुए हैं। सामान्य नागरिकों के लिए दी गई सुविधा का वो बेजा इस्तेमाल करते हैं और भारतीय इलाकों में अपराध कर सुरक्षित ठिकानों पर चले जाते हैं।
म्यांमार सीमा से लगे हुए चारो भारतीय राज्यों में आतंकी गतिविधियों और तस्करी को रोकने के लिए सरकार वीजा मुक्त रिजिम की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का फैसला किया है। जिसके अध्यक्ष गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) होंगे। सीमावर्ती राज्यों में वीजामुक्त आवाजाही की समीक्षा के लिए कमेटी को तीन महीने का समय दिया गया है। ये कमेटी चारों राज्यों में जमीनी हालात की समीक्षा करने के बाद गृह मंत्रालय को रिपोर्ट पेश करेगी।
गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि असम राइफल्स के जवान अदम्य साहस, बहादुरी, चतुराई, दृढ़ निष्ठा के साथ देश की सीमाओं की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से अपील किया कि असम राइफल्स के जवानों पर वो खासा तवज्जों दें ताकि उनका मनोबल हमेशा बढ़ा रहे।
श्री राजनाथ सिंह ने म्यांमार से जुड़े भारतीय राज्यों से जुड़े भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सलाह दी कि वो सीमांकन में एक बेहतरीन समझ के साथ काम करें ताकि किसी तरह की विवाद की गुंजाइश न रहे।
गृहमंत्री ने निर्देश दिया म्यांमार भारत सीमा पर जो भी निर्माण कार्य हों उसमें नो कंस्ट्रक्शन जोन पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा सीमा पर पत्थरों के लगाए जाने के संबंध में वहां के स्थानीय लोगों के साथ-साथ मुख्यमंत्रियों से सहयोग की अपील होनी चाहिए।
भारतीय म्यांमार सीमा के करीब 10 किलोमीटर के अंदर 240 से ज्यादा गांवों में ढाई लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि वो लोग उन इलाकों में बेहतर पुलिस की गश्त के साथ-साथ पुलिस स्थानों और चौकियों के बनाने पर बल दें। इसके साथ ही लोगों से अपील करें कि सीमा पर गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार की मदद करें।