योग का आमूल विज्ञान एक बेहतरीन जीवनशैली है, जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि उसके द्वारा तनाव से उत्पन्न विकारों और जीवनशैली से उत्पन्न होने वाले मधुमेह जैसे विकारों को प्रभावशाली तरीके से दुरूस्त किया जा सकता है। आधुनिक अनुसंधानों से पता लगा है कि योग द्वारा मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते है। योग केवल शारीरिक कसरत नहीं है (इन्स और विन्सेंट, 2007)।
बताया गया है कि योग आधारित जीवनशैली में थोड़े से बदलाव और तनाव कम करने के प्रयासों के जरिये हृदय रोग तथा मधुमेह के जोखिमों को 9 दिनों में ही कम किया जा सकता है (बिजलानी, 2005)। इसके अलावा 1980 और 2007 के बीच प्रकाशित होने वाले 32 आलेखों की समीक्षा से पता लगा है कि योग द्वारा वजन, रक्तचाप, शर्करा के स्तर और बढ़े हुये कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है (यांग, 2007)।
अध्ययनों से पता लगा है कि मधुमेह के कारण शरीर की केन्द्रीय स्नायु तंत्र प्रणाली प्रभावित होती है। 6 सप्ताह की योग थेरेपी कार्यक्रम के जरिये मधुमेह के मरीजों में श्रवण प्रतिक्रिया समय में अभूतपूर्व कमी देखी गई है (मदनमोहन, 1984 : मदनमोहन, 2012)। यह भी पता लगा है कि योग से स्नायु तंत्र में और मधुमेह के मरीजों के बायो-कैमिकल प्रोफाइल में सुधार होता है।
योगाभ्यास से मधुमेह के रखरखाव और उसकी रोकथाम में सहायता होती है तथा उच्च रक्तचाप और डिसलिपिडेमिया जैसी परिस्थितियों से बचाव होता है। लंबे समय तक योगाभ्यास करने से इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है और शरीर के वजन या कमर के घेरे तथा इन्सुलिन संवेदनशीलता के बीच का नकारात्मक संबंध घट जाता है (छाया, 2008)।
योग का कोई साइफ इफेक्ट नहीं है। इसके कई संपार्श्विक लाभ हैं। यह इतना सुरक्षित और आसान है कि इसे बीमार, बुजुर्ग और दिव्यांग भी कर सकते हैं। सुरक्षित, साधारण और आर्थिक रूप से किफायती थेरेपी होने के चलते इसे मधुमेह रोगियों के लिए काफी सहायक माना गया है।
इन्स और विन्सेन्ट (2007) की एक व्यापक समीक्षा ने इससे कई जोखिम सूचकों में लाभदायक बदलाव पाए जैसे ग्लूकोस सहिष्णुता, इंसुलिन संवेदनशीलता, लिपिड प्रोफाइल, एन्थ्रोपोमेट्रिक विशेषताओं, रक्तचाप, ऑक्सीडेटिव तनाव, कोग्यूलेशन प्रोफाइल, सिम्पेथेटिक एक्टिवेशन और पलमोनरी फंक्शन में इसे काफी फायदेमंद पाया गया। उन्होंने सुझाव दिया है कि योग व्यस्कों में टाइफ 2 डीएम के साथ जोखिम कर करता है। इसके अलावा हृदय संबंधी जटिलताओं की रोकथाम और प्रबंधन के लिए भी यह काफी फायदेमंद है।
इस तरह से योग टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस और इससे जुड़ी जटिलताओं की स्थिति में जोखिम कम करने में मदद कर सकता है
पुरानी बीमारियों को रोकने और उसे नियंत्रित करने में भी योग काफी मददगार साबित हो सकता है। जनसमूह के स्वास्थ्य में सुधार के लिए योग एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। योग में बीमारी को बढ़ने से रोकने की क्षमता है और यदि इसे जल्द शुरू किया जाए तो ये इलाज को भी प्रभावित करता है (भवनानी, 2013)।
डीएएम के प्रबंधन में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी योग सिद्धांतों में शामिल हैं:
- मनोवैज्ञानिक पुनर्स्थापन और यम-नियम, चुतर्भावना, प्रतिपक्ष भावानाम आदि दृष्टिकोणों के विकास।
- काउंसलिंग, जाथी, आसन, क्रिया, प्रणायाम से तनाव प्रबंधन
- सूर्य नमस्कार, आसन, क्रिया और प्रणायाम जैसी शारीरिक गतिविधि के माध्यम से ग्लूकोज को बेहतर बनाने में मदद करना
मधुमेह के लिए योग थेरेपीः
मधुमेह की रोकथाम और इसे नियंत्रित करने में योग एक महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है। योग का महत्त्व उन लोगों के लिए और महत्त्वपूर्ण हैं जो द्वितीय प्रकार या गैर इनसोलिन मधुमेह से पीड़ित है। यह एसे लोगो को अधिक प्रभावी ढंग से उपचार करने में मदद करता है। योग को अगर नियमित रुप से दिनचर्या में शामिल किया जाए तो इससे बीमारियों पर रोकथाम के साथ-साथ वजन कम करने में मदद मिलती है।
नियमित रुप से व्यायामः नियमित रूप से व्यायाम करने से अतिरिक्त ब्लड शुगर का उपयोग करने में मदद मिलता है। जितना संभव हो सके पैदल चलना चाहिएं या और योग थेरेपी के लिए तराकी भी एक बेहतर उपाय है।
खान-पान पर नियंत्रणः
- नियमित रुप से कार्बोहाइड्रेट के साथ हल्का भोजन
- रिफाइंड से बने खाद्य पदार्थों और जंक फूड से बचें
- हरी सब्जी सलाद, करेला और नीम का सेवन करें
- पानी की भरपूर मात्रा लें
सूर्यनमस्कारः तीन या छः बार सूर्य नमस्कार करने से शर्करा का स्तर कम हो जाता है। और इससे वजन को कम करने में भी मदद मिलती है।
योगा आसनः
- कमर का आसनः
- खड़े होकरः त्रिकोण आसन, अर्ध कटी चक्रासन
- बैठकरः वक्रासन, अर्ध मत्सयेंद्र, भारतवाजा आसन, शशांग आसन
- झुककरः जात्र परिवर्तन आसन
- पेट के बल आसनः
- बैठकरः उत्कट आसन, जानु सिरासा आसन, पश्चिमोत्तन आसन, नवा आसन, योग मुद्रा आसन, स्तम्बम आसन और मयूर आसन
- झुककरः पवन मुक्त आसन, धनुर आसन, भुजंग आसन, शलभ आसन, नौका आसन