स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में भारत का बड़ा अभियान

पिछले तीन वर्षों के दौरान नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों में व्यापक स्तर पर हुई वृद्धि भारत के ऊर्जा मिश्रण में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्राथमिकता देने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

भारत ने पहले ही नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। विशेषरूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की तरक्की ने देश को दुनिया के ऊर्जा नक्शे पर विशेष पहचान दिलाई है। वर्तमान सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं, ऐसे में हाल ही में भारत की ऊर्जा क्षमता में परमाणु ऊर्जा के रूप में 7 गीगा वॉट (7000 मेगा वॉट) ऊर्जा क्षमता को शामिल किए जाने का निर्णय, जोकि एक ही बार में भारत के घरेलू परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम कि दिशा में सबसे बड़ी मंज़ूरी, एक स्थायी रूप से कम कार्बन विकास रणनीति की दिशा में भारत की गंभीरता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत की वर्तमान परमाणु ऊर्जा क्षमता 6.7 गीगा वॉट (अथवा 6780 मेगा वॉट) है और 700 मेगावॉट प्रति रिएक्टर की क्षमता वाले 10 नए परमाणु रिएक्टरों को मंज़ूरी भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को व्यापक स्तर पर और मज़बूत करेगा। 6.7 गीगा वॉट (6700 मेगा वॉट) की अन्य परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और 2021-22 तक इनके परिचालन में आने की उम्मीद है।

घरेलू कंपनियों को करीब 70,000 करोड़ रुपये के संभावित विनिर्माण का कार्य मिलने के साथ ही, इस परियोजना से भारतीय परमाणु उद्योग में बड़े बदलाव के लिए मदद मिलने और प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से 33,400 से अधिक नौकरियां सृजित होने का अनुमान है।

 

नवीकरणीय ऊर्जा के मोर्चे पर, आंकड़े अपने आप सफलता बयां करते हैं…

वर्ष 2014 में केन्द्रीय विद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा, कोयला एवं खान राज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल ने जब महत्वपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र की बागडोर संभाली, उस समय भारत में सौर ऊर्जा क्षमता केवल 2.65 गीगा वॉट (अथवा 2,650 मेगा वॉट) थी। एनडीएस सरकार के तीन वर्ष पूरे करने पर, तीन वर्ष के भीतर ही भारत की सौर ऊर्जा क्षमता अभूतपूर्व तरीके से 4.5 गुणा बढ़कर 12.2 गीगा वॉट (अथवा 12,200 मेगा वॉट) पर पहुंच गई है।

यहां एक अन्य महत्वपूर्ण बात, जिसका जिक्र किया जाना महत्वपूर्ण है, वह है सौर ऊर्जा की दरें। वर्ष 2014 में सौर ऊर्जा की दर 13 रुपये प्रति यूनिट से भी अधिक थी, जोकि वर्तमान में 500 मेगावॉट की क्षमता वाले राजस्थान के भाड़ला सौर पार्क की नीलामी में ऐतिहासिक रूप से कम होकर 2.44 रुपये प्रति यूनिट के निम्न स्तर पर पहुंच गई हैं। यह अब तक का रिकॉर्ड स्तर है।

यह विश्व बैंक बिजली सुगमता रैंकिंग में 2014 के 99वें स्थान से वर्तमान में 23वें स्थान पर पहुंचने वाले भारत के लिए किसी भी मानक के अनुसार सराहनीय उपलब्धि है।

दिलचस्प बात यह है कि सौर ऊर्जा आज भारत में ताप और कोयला आधारित ऊर्जा से भी सस्ती हो गई है, जबकि एक समय में ताप और कोयला ऊर्जा भारत के ऊर्जा क्षेत्र के आधार रहे हैं। यहां तक कि भारत की सर्वाधिक ऊर्जा सृजन कंपनी-एनटीपीसी की ऊर्जा की औसत लागत, सौर ऊर्जा के मोर्चे पर हासिल किए की गई उपलब्धियों से अधिक है।

उद्योग जगत और विशेषज्ञों के बीच उठे संदेहों को दूर रखते हुए, ऊर्जा की कम दरों की स्थिरता के बारे में केन्द्रीय विद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा, कोयला एवं खान राज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि “पिछले तीन वर्षों के दौरान हमने जब भी कम कीमतें तय की, हमने कीमतों के अनिश्चित स्तर के बारे में सुना। हमने इसके बारे में 12 से 10 होने पर सुना, 10 से 8, 8 से 5 और आज जब हम 4 पर हैं, जब भी ये सुन रहे हैं।”

नवीकरणीय ऊर्जा की दरों में इस गिरावट से उत्साहित, केन्द्रीय मंत्री श्री गोयल को विश्वास है कि जल्द ही भारत की स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 60-65% हिस्सा हरित ऊर्जा का होगा। मंत्री श्री गोयल ने हाल ही में कहा कि “ हम जिन दरों पर पहुंचे हैं, उनसे मुझे पूरी उम्मीद है कि आगामी दिनों में भारत की स्थापित क्षमता का 60-65 फीसदी हिस्सा हरित ऊर्जा का होगा।”

यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े ज़मीन आधारित सौर संयंत्र और दुनिया के सबसे बड़े छत आधारित सौर संयंत्र, दोनों ही भारत में हैं।

पवन ऊर्जा क्षमता के मोर्चे पर, भारत ने ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों को पीछे छोड़कर पवन ऊर्जा स्थापित क्षमता के मामले में चीन, अमरीका और जर्मनी के बाद चौथा स्थान हासिल कर लिया है। सभी को सस्ती हरित ऊर्जा सुनिश्चित कराने के लिए भारत ने वर्ष 2016-17 में रिकॉर्ड 3.46 रुपये प्रति यूनिट की दर से 5.5 गीगावॉट की अतिरिक्त उच्चतम पवन क्षमता में वृद्धि के लक्ष्य को हासिल किया है।

सौर, पवन, छोटी पनबिजली और जैव-शक्ति सहित भारत की नवीकरणीय क्षमता की बात करें, तो इन क्षेत्रों में पिछले तीन वर्ष में दो तिहाई की वृद्धि दर्ज की गई है, जोकि 35 गीगावॉट से बढ़कर 57 गीगावॉट पर पहुंच गई है। सरकार वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट सौर और 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। वर्ष 2022 तक भारत में कुल 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा सृजन की परिकल्पना की गई है।

वर्तमान सौर ऊर्जा क्षमता वर्ष 2014 में मौजूद सौर ऊर्जा क्षमता की तुलना 370 फीसदी की वृद्धि दर्शाती है। वर्ष 2014 में 2621 मेगावॉट से बढ़कर वर्तमान में मार्च 2017 तक भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 12,277 मेगावॉट पर पहुंच गई है। इसी प्रकार, मार्च 2017 के अनुसार पवन ऊर्जा में भी 52 फीसदी की असामान्य वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2014 में 21,042 मेगावॉट पवन ऊर्जा की तुलना में मार्च 2017 में बढ़कर यह 32,304 मेगावॉट हो गई है। इसी अवधि के दौरान छोटे हाइड्रो पावर और जैव-ऊर्जा के क्षेत्र में प्रत्येक में 14% वृद्धि हुई है।

नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तीन प्रमुख सुधारों का सारांश निम्नानुसार किया जा सकता हैः

पवन क्षेत्र – यह क्षेत्र निश्चित टैरिफ व्यवस्था से प्रतिस्पर्धी बोली व्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ चुका है, जिससे बिजली की लागत 20 फीसदी तक कम हो सकती है। सौर पार्कों के जरिए प्लग एंड प्लेय मॉडल का प्रयोग कर सौर ऊर्जा सस्ती हो चुकी है और इसकी दरें 75 फीसदी से भी अधिक कम हो गई हैं। और तीसरा अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा गठबंधन के गठन के जरिए दुनिया में सौर क्रांति का नेतृत्व कर भारत ने जगतगुरु का खिताब पुनः प्राप्त किया है।

ग्रामीण भारत में, इस कैलेंडर वर्ष के अंत (दिसंबर 2018 तक के अपने लक्ष्य को खारिज करते हुए) तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का सरकार का कार्यक्रम तीव्र गति से चल रहा है। इस दिशा में सौर ऊर्जा के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता, क्योंकि अब तक ग्रामीण इलाकों में बिजली की अनुपस्थिति में छात्रों को पढ़ाई करने में सक्षम बनाने के लिए इस कार्यक्रम के तहत करीब 10 लाख सौर लैंप छात्रों को वितरित किए जा चुके हैं।

इसके अलावा, सौर पंप स्थापित करके किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराना, पिछले तीन वर्षों में इस सरकार की एक अन्य प्रमुख उपलब्धि है। जहां एक ओर मार्च 2014 तक करीब 11,000 सौर पंप स्थापित किए गए थे, वहीं अब इन सौर पंपों की संख्या 1.1 लाख पहुंच गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान एनडीए सरकार ने इस क्षेत्र में स्वतंत्रता के बाद से करीब 9 गुणा अधिक संख्या में सौर पंप स्थापित करने के लक्ष्य को हासिल किया है।