केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठों राज्यों के लिए विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि यही बात उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों पर भी लागू होती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नैनीताल में मीडिया को बताया कि जीएसटी के तहत भारतीय संघ के सभी राज्यों को समान अवसर प्रदान करने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि यह न्यायसंगत निष्पक्ष प्रणाली कुछ इस तरह से तैयार की गई है कि कई विकसित और विनिर्माण राज्य आगे चलकर अपेक्षाकृत कम विकसित या मुख्य रूप से उपभोक्ता राज्यों की अर्थव्यवस्था में योगदान देंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जीएसटी को लागू करने की प्रक्रिया के दौरान उन्होंने महसूस किया कि पूर्वोत्तर के कुछ ऐसे स्थानीय उत्पाद हैं जो जीएसटी लागू होने के बाद जाहिरा तौर पर कर योग्य हो गए है, जबकि ये जीएसटी लागू होने से पहले कर-मुक्त थे। उन्होंने कहा, हालांकि स्थानीय घरेलू व्यापारियों को यह समझाया गया है कि पहले इन उत्पादों की कीमतों में कच्चे माल, इत्यादि पर देय कुछ निश्चित कर भी शामिल थे, जो कि दिखाई नहीं देते थे, लेकिन अब एकमात्र अंतर यह है कि जीएसटी एक दृश्यमान टैक्स है। हालांकि, उत्पाद की अंतिम लागत लगभग समान ही होगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करने के एकमात्र निर्णय ने पूरे भारत के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में इन राज्यों की भागीदारी एवं आत्मसम्मान पर मूल्यवर्द्धन का बड़ा दीर्घकालिक प्रभाव डाला है। उन्होंने एक सौहार्दपूर्ण फॉर्मूला तैयार करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को पूर्ण श्रेय दिया, जिसमें फंड के केंद्रीय हिस्से से विनिर्माण राज्यों को भरपाई की जाएगी और ऐसे में उनके साथ बराबरी करने के कारण गैर-विनिर्माण राज्यों के खिलाफ कोई भी शिकायत करने का मौका उन्हें नहीं मिलेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘जीएसटी आज की वैश्विक दुनिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है। कोई भी अकेला देश या राज्य अलग-थलग रहते हुए भी आर्थिक दृष्टि से प्रगति करने की उम्मीद नहीं कर सकता है।’