राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने यूट्यूब सोशल मीडिया मंच पर अंडमान द्वीप समूह की जारवा और अन्य संरक्षित जनजातियों की आपत्तिजनक वीडियो फिल्मों और तस्वीरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इन पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
आयोग ने यूट्यूब से इन आपत्तिजनक वीडियो फिल्मों को हटाने तथा इन वीडियों क्लिप्स को सोशल मीडिया मंच पर अपलोड करने वालों पर कार्रवाई शुरू करने के लिए इस मामले को गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के समक्ष उठाने का फैसला किया है।
18.6.1956 के अंडमान एवं निकोबार द्वीप (आदिम जनजाति संरक्षण) कानून, 1956 (पीएटी) के अनुसार अंडमानिज, ओंग्स, सेंतिनेलिज, निकोबारिज और शोम पैंस की पहचान ‘आदिम जनजातियों’ के रूप में पहचान की गई है। पीएटी के अंतर्गत इन समुदायों को बाहरी हस्तक्षेप से संरक्षित किये जाने का प्रावधान हैं। वर्ष 2012 में आदिम जनजातियों से संबंधित विज्ञापनों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दंड के प्रावधान किये गए थे। जो भी धारा 7 के अंतर्गत अधिसूचना (जो आरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश को निषिद्ध करती है) का उल्लंघन कर इन क्षेत्रों में फोटो खींचने या वीडियो बनाने के लिए दाखिल होता है, उसे तीन साल तक का कारावास हो सकता है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) की धारा 3 (i) (आर) भी ग्रहण की गई है।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की कुल आबादी लगभग 28077 है। इनमें से पांच जनजातीय समुदायों की तादाद 500 से भी कम है।