श्री राम विलास पासवान ने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा हाल में किए गए फैसले की जानकारी दी

श्री राम विलास पासवान, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने आज नई दिल्‍ली में मंत्रालय से जुड़े तमाम विषयों पर नई दिल्ली में प्रेस वार्ता कर जानकारी दी। श्री पासवान ने कहा कि सरकार ने राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत देश भर में मिलने वाले अनाज के Issue Prices में जून, 2018 तक कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। श्री पासवान ने बताया कि खाद्य वस्‍तुओं के पैक पर MRP, नेट-क्‍वांटिटी और उपभोक्ता सहायता संबंधी विवरण के लिए अक्षरों और अंकों के आकार प्रदर्शित करने का अनुपालन करना होगा। श्री पासवान ने जानकारी दी कि पूर्व से निर्मित, पैकबंद अथवा न बिकी हुई वस्‍तुओं पर GST के कारण कर की बढ़ी दर, यदि कोई हो, को शामिल करते हुए 30 सितम्‍बर, 2017 तक 3 माह की अवधि के लिए परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्‍य की घोषणा की जा सकती है।

 

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम – राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 05 जुलाई, 2013 को लागू हुआ। सरकार गठन के समय तक मात्र 11 राज्‍यों द्वारा इस अधिनियम को लागू किया गया था। नवम्‍बर, 2016 से यह पूरे देश में लागू हो गया।

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पात्र परिवारों को 1/- रुपए प्रति किलो की दर से मोटा अनाज, 2/- रुपए प्रति किलो की दर से गेहूं और 3/- रुपए प्रति किलो की दर से चावल दिया जाता है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इसके लागू होने के 3 वर्ष पूरे होने पर अनाज के Issue Price संशोधित किए जाने थे, किन्‍तु केन्‍द्र सरकार ने जून, 2017 तक Issue Prices में कोई बदलाव नहीं किया। अब सरकार ने अधिनियम के अंतर्गत देश भर में मिलने वाले अनाज के Issue Prices में जून, 2018 तक कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से 80 करोड़ 55 लाख व्‍यक्तियों को और एक वर्ष तक यह लाभ मिलता रहेगा।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाइसेंस में आरक्षण – लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 के अंतर्गत राज्‍य सरकारें अनाज के वितरण के लिए राज्‍यों में राशन की दुकानों के लाइसेंस जारी करती हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली और उसके माध्‍यम से सस्‍ती दर पर अनाज की योजना समाज के गरीब और उपेक्षित वर्ग पर केन्‍द्रित है। इसलिए राज्‍य सरकारों से अनुरोध किया गया है कि वह राशन की दुकानों के लाइसेंस जारी करते समय अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के व्‍यक्तियों अथवा उनके समूह/संगठनों को आरक्षण नीति के अनुसार प्राथमिकता दें।

विधिक माप विज्ञान (पैक बंद वस्‍तुएं) नियम 2011 में संशोधन – ई-कॉमर्स प्‍लेटफार्म पर बिक्री की जाने वाली वस्‍तुओं के  लिए पैकबंद वस्‍तुओं के नियमों में अपेक्षित घोषणाओं का उल्‍लेख किया जाना अनिवार्य किया गया है।

खाद्य वस्‍तुओं के लिए इन नियमों के अंतर्गत की जाने वाली घोषणाओं को FSSAI के प्रावधानों के साथ मिला दिया गया है। अब खाद्य वस्‍तुओं के पैक पर लीगल मैट्रोलॉजी संबंधी मात्र 3 घोषणाएं, यथा – MRP, नेट-क्‍वांटिटी और उपभोक्ता सहायता संबंधी विवरण के लिए अक्षरों और अंकों के आकार प्रदर्शित करने का अनुपालन करना होगा।

अनिवार्य घोषणा करने के लिए अक्षरों और अंकों का आकार बढ़ा दिया गया है, ताकि उपभोक्ता उसे आसानी से पढ़ सकें।

दोहरे अधिकतम खुदरा मूल्‍य (Dual  MRP) के संबंध में स्‍थिति को और अधिक स्‍पष्‍ट करने के लिए नियमों में विशेष उल्‍लेख किया गया है “ कोई भी व्‍यक्ति प्रतिबंधित व्‍यापार पद्धति या व्‍यापार के अनुचित तरीके अपनाकर, जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में परिभाषित किया गया है, पहले से पैकबंद एकसमान वस्‍तुओं के लिए अलग-अलग MRP घोषित नहीं करेगा।”

उद्योगों के हित में निवल मात्रा (Net Quantity) की जांच को और अधिक वैज्ञानिक बनाया गया है।

GST के कारण पैकबंद वस्‍तुओं पर MRP के संबंध में – 1 जुलाई, 2017 से वस्‍तु एवं सेवा कर के कार्यान्‍वयन के कारण ऐसे मामले हो सकते हैं कि पैकबंद किसी वस्‍तु के खुदरा बिक्री मूल्‍य में परिवर्तन करना अपेक्षित हो। इसे ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है कि पूर्व से निर्मित, पैकबंद अथवा न बिकी हुई वस्‍तुओं पर GST के कारण कर की बढ़ी दर, यदि कोई हो, को शामिल करते हुए 30 सितम्‍बर, 2017 तक 3 माह की अवधि के लिए परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्‍य की घोषणा की जा सकती है। सरकार ने ऐसी परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्‍य की घोषणा, मोहर लगा कर अथवा स्‍टीकर चिपका कर या ऑनलाइन करने की अनुमति दी है। यह भी स्‍पष्‍ट किया गया है कि अधिकतम खुदरा मूल्‍य संबंधी यह घोषणा पहले से छपे अधिकतम खुदरा मूल्‍य के अतिरिक्त होगी। बची हुई पैकिंग सामग्री के उपयोग के लिए 30 सितम्‍बर, 2017 तक का समय दिया गया है।