जर्मनी के हैम्बर्ग में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर पांच ब्रिक्स देश के नेताओं की एक अनौपचारिक बैठक हुई। यह बैठक सितंबर में चीन के ज़ियामेन में 9वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर हुई। चीन के राष्ट्रपति शी ने कहा कि वह ब्रिक्स नेताओं का स्वागत करने के लिए बेहद उत्सुक है।
उनकी अध्यक्षता में नेताओं ने आगामी ज़ियामेन ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारी और प्राथमिकताओं पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स की स्थित मजबूत है और उसे आतंकवाद तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नेतृत्व की भूमिका दिखाने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जी-20 को सामूहिक रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण, आतंकवादी संगठनों, उनके आश्रयों, आतंक के समर्थकों और प्रायोजकों का विरोध करना चाहिए। हाल में शुरू किए गए जीएसटी सहित भारत में तमाम सुधारों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि निरंतर वैश्विक आर्थिक सुधार की दिशा में सभी को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने संरक्षणवाद की प्रथाओं के खिलाफ विशेष रूप से व्यापार, ज्ञान और पेशेवरों को लेकर सामूहिक रूप से आवाज उठाने की वकालत की। प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस समझौते को उसकी भावना के अनुरूप लागू करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आवश्यक रूप से विश्व स्तर पर इसके कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उन्होंने ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की स्थापना के लिए शीघ्र कदम उठाने का आह्वान किया और कहा कि अफ्रीका के विकास के लिए सहयोग की भावना प्राथमिकता में होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मानवीय आदान-प्रदान का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति शी की अध्यक्षता में ब्रिक्स की प्रगति की सराहना की और ब्रिक्स ज़ियामेन शिखर सम्मेलन के लिए पूर्ण सहयोग देने की बात कही और शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री की टिप्पणी के तुरंत बाद बैठक का समापन करते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प की सराहना की और भारत की अध्यक्षता में गोवा में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन-2016 के परिणामों की भी तारीफ की। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास में भारत की सफलता की भी सराहना की। साथ ही आगे भारत की बड़ी सफलता की कामना की।