जल क्षेत्र के विविध मामलों के समाधान के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच व्यापक परामर्श और नए विचारों पर मंथन के प्रति अपनी संकल्पबद्धता के मद्देनजर जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय 28 और 29 जुलाई, 2017 को नई दिल्ली में जल मंथन – IV का आयोजन करेगा। इस संगोष्ठी में संबंधित मंत्रालयों/विभागों के केंद्रीय मंत्रियों, कुछ राज्यों/संघशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, राज्यों/संघशासित प्रदेशों के सिंचाई/जल संसाधन मंत्रियों, जल क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञों, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों के भाग लेने की संभावना है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगी।
पहले दिन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) और उसके कार्यान्वयन के बारे में परामर्श और विचार-विमर्श किया जाएगा तथा त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) तथा कमान क्षेत्र विकास (सीएडी)आदि के अंतर्गत राज्यों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा की जाएगी। वक्ताओं में श्री बृजमोहन अग्रवाल, जल संसाधन मंत्री, छत्तीसगढ़ सरकार, श्री गिरीश दत्तात्रेय महाजन, जल संसाधन मंत्री, महाराष्ट्र सरकार, श्री टी हरीश राव, सिंचाई मंत्री, तेलंगाना सरकार, श्री अमरजीत सिंह, सचिव, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय, श्री ए बी पंड्या, पूर्व अध्यक्ष केंद्रीय जल आयोग और श्री नरेन्द्र कुमार, अध्यक्ष केंद्रीय जल आयोग शामिल हैं।
दूसरे दिन, का विचार-विमर्श नदियों को आपस में जोड़ने तथा उनके कार्यान्वयन पर केंद्रित रहेगा और उसके बाद सुश्री भारती की अध्यक्षता में चिंतन बैठक का आयोजन किया जाएगा। दूसरे दिन के प्रमुख वक्ताओं में श्री ए डी मोहिले, पूर्व अध्यक्ष, केंद्रीय जल आयोग और श्री एस मसूद हुसैन, सदस्य (डब्ल्यूपी एंड पी ), केंद्रीय जल आयोग शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जल संसाधन विकास का पर्यावरण, वन्य जीव और विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक पद्धतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए जल संसाधन विकास और प्रबंधन में संलग्न विभिन्न हितधारकों के बीच व्यापक परामर्श की जरूरत पर बल दिया है। जल मंथन कार्यक्रमों का आयोजन इसी उद्देश्य से किया जा रहा है।
इससे पहले नवंबर 2014, फरवरी 2016 और जनवरी 2017 में आयोजित किए गए तीन जल मंथन कार्यक्रम बेहद सफल रहे।
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