राज्य सभा ने आज नौसेना (समुद्रीय दावों के लिए न्याय करने का अधिकार और निपटारा) विधेयक, 2017 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। विधेयक को संसद के शीत कालीन सत्र में चर्चा के लिए लाया गया था। इस विधेयक का उद्देश्य पुराने अप्रचलित कानूनों के स्थान पर नया विधि ढांचा स्थापित करना है और देश के तटीय राज्यों की उच्च न्यायालयों में नौसेना के लिए न्याय करने का अधिकार प्रदान करने की व्यवस्था करना है। इस विधेयक को लोक सभा मार्च 2017 में पारित कर चुकी है।
नौवहन और सड़क परिवहन तथा राजमार्ग तथा रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने इस विधेयक की आवश्यकता बताते हुए कहा कि 126 से 177 वर्ष पुराने पाँच अलग-अलग नौसेना अधिनियमों को रद्द करके इसे लाने की जरूरत थी। इस विधेयक में समुद्री दावों और समुद्रीय वैध अधिकारों को प्राथमिकता प्रदान करने के साथ-साथ मालिकों, संचालकों, नाविकों और साथ ही मल्लाहों को प्राथमिकता प्रदान की गई है। सदन में हुई चर्चा के दौरान सदस्यों ने विभिन्न सवालों को उठाते हुए अपने विचार रखे जिनका श्री मंडाविया ने संतोषजनक जवाब दिया।
नए विधेयक के अनुसार सभी समुद्र तटीय राज्यों को समुद्रीय दावों पर न्याय का अधिकार मिल जाएगा। इसमें अनेक ऐसे पहलू शामिल हैं जो पहले की तरह वस्तुओं के आयात और चल सम्पत्ति तक ही सीमित नहीं होंगे बल्कि अन्य दावों जैसे नाविकों की मजदूरी, जान की हानि, डूबते हुए जहाज़, नुकसान, सेवा और मरम्मत, बीमा पर्यावरण को खतरे आदि से जुड़े दावों के भुगतान हो सकेंगे। विधेयक में गलत और अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी के खिलाफ संरक्षण प्रदान किया गया है। इसमें एक उच्च न्यायालय से दूसरे न्यायालय को मामलों के हस्तान्तरण का प्रावधान है।