केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने देश में बाढ़ की स्थिति और इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा के लिए आज नई दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। अधिकारियों ने उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ की स्थिति और बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए मंत्रालय के अधीनस्थ संबंधित संगठनों द्वारा अत्यंत सक्रियता के साथ उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी।
मंत्री महोदया को यह जानकारी दी गई कि केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने बाढ़ के दौरान अत्यंत सक्रियता दिखाते हुए सभी संबंधित उपयोगकर्ता एजेंसियों को लगभग 3200 बाढ़ पूर्वानुमान जारी किए जो समय पर लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनकी जिंदगी की रक्षा करने की दृष्टि से जिला प्रशासन के लिए बेहद लाभप्रद साबित हुए हैं। इसके अलावा, मंत्रालय ने बाढ़ के अंदेशे को ध्यान में रखते हुए सात विशिष्ट जिला-वार परामर्श और जहां भी आवश्यकता हुई वहां पानी छोड़ने के लिए बांध-वार परामर्श जारी किए हैं, ताकि एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की जल्द तैनाती और जलाशय के फाटकों का बेहतर संचालन संभव हो सके। जून 2017 से ही मंत्रालय द्वारा उठाए जा रहे एक और महत्वपूर्ण कदम के तहत सभी हितधारकों के हित में समस्त 19 नदी बेसिनों के लिए वर्षा-अपवाह मॉडल पर आधारित अग्रिम रूप से तीन दिन पहले बाढ़ संबंधी परामर्श ऑनलाइन उपलब्ध कराए गए हैं।
मंत्री महोदया ने निर्देश दिया कि मंत्रालय के अधीनस्थ सभी संबंधित संगठन बाढ़ प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान करेंगे। उन्होंने निर्देश दिया कि संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों से परामर्श करके सीडब्ल्यूसी, जीएफसीसी और ब्रह्मपुत्र बोर्ड नदियों के किनारे अवस्थित एवं कटाव और भूस्खलन की दृष्टि से असुरक्षित पाटों या समतल भागों की पहचान करेंगे तथा नक्शे तैयार करेंगे और इसके साथ ही संभावित उपाय भी सुझाएंगे।
सुश्री भारती ने विशेष बल देते हुए कहा कि बाढ़ और सूखे की समस्या का दीर्घकालिक हल बड़े भंडारों के निर्माण के साथ-साथ नदियों को आपस में जोड़ने में निहित है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए मंत्रालय ने सभी मंजूरियां प्राप्त कर ली हैं। मंत्री महोदया ने खुशी व्यक्त करते हुए यह जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश सरकार ने केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजना को अपना समर्थन देने की बात कही है और इस बारे में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से प्रतिक्रिया जल्द ही प्राप्त होने की उम्मीद है। भारत सरकार बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों के हित में नदियों को आपस में जोड़ने की इस पहली परियोजना को क्रियान्वित करने की इच्छुक है।
दमनगंगा-पिंजल लिंक और पार-तापी-नर्मदा को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) अपने अगले चरण में है। इसके अलावा, हिमालयी क्षेत्र में परिकल्पित कोसी-मेकी लिंक और कोसी-घाघरा लिंक गंगा बेसिन में बाढ़ की उच्च तीव्रता को अत्यंत कम कर देंगे।
मंत्री महोदया ने कहा कि भारत सरकार विभिन्न स्तरों पर नेपाल सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है, ताकि संयुक्त रूप से विभिन्न भंडारण बांधों की योजना बनाकर नेपाल से आने वाली नदियों से बाढ़ की वजह से होने वाली तबाही कम की जा सके। शारदा नदी पर पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना, सप्त कोसी उच्च बांध परियोजना और सन कोसी भंडारण-सह- डायवर्जन योजना सप्त कोसी बेसिन में प्रस्तावित हैं। ब्रह्मपुत्र बेसिन में, मंत्रालय की एक समिति ने सियांग में 9.2 बीसीएम, दीबंग में 0.6 बीसीएम, लोहित में 1.61 बीसीएम और सुबनसिरी उप बेसिनों में 1.91 बीसीएम की भंडारण आवश्यकताओं का आकलन किया है। एकल-चरण सियांग अपर बहुउद्देशीय भंडारण का निर्माण करने के प्रस्ताव पर मंत्रालय सक्रियतापूर्वक विचार कर रहा है।
राज्य सरकारों के साथ बाढ़ संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए मंत्री महोदया 21 अगस्त को उत्तर प्रदेश और 25 अगस्त को बिहार का दौरा करेंगी। वह भारत-नेपाल पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना के संबंध में उत्तराखंड की यात्रा करने की भी योजना बना रही हैं। इस बीच, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव डॉ. अमरजीत सिंह पहले से ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के सर्वेक्षण के लिए असम के दौरे पर हैं।