पंडित दीनदयान उपाध्‍याय शताब्‍दी समारोह और स्‍वामी विवेकानंद के शिकागो संबोधन के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर छात्रों के सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री का सम्‍बोधन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पंडित दीनदयान उपाध्‍याय शताब्‍दी समारोह और स्‍वामी विवेकानंद के शिकागो संबोधन के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आज नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में आयोजित छात्रों के सम्‍मेलन को सम्‍बोधित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 125 वर्ष पहले आज ही के दिन, जिसे हाल ही में 9/11 के रूप में जाना जाता है, मात्र कुछ शब्‍दों के साथ एक युवा भारतीय ने पूरे विश्‍व को जीत लिया था और पूरे विश्‍व को एकता की ताकत दिखाई थी। उन्‍होंने कहा कि 1983 का 9/11 प्‍यार, सद्भावना और भाईचारे का दिन था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद ने हमारे समाज में प्रवेश कर चुकी सामजिक बुराईयों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्‍होंने याद दिलाया कि, स्‍वामी विवेकानंद ने कहा था कि केवल रीति-रिवाज किसी व्‍यक्ति को ईश्‍वर से नहीं जोड़ते। उन्‍होंने कहा कि ‘जन सेवा ही प्रभु सेवा है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद उपदेश देने में विश्‍वास नहीं करते थे। उनके विचारों और आदर्शवाद ने रामकृष्‍ण मिशन के माध्‍यम से संस्‍थागत रूपरेखा का मार्ग प्रशस्‍त किया।

प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों का खासतौर पर जिक्र किया जो स्‍वच्‍छ भारत के साथ अथक रूप से जुड़े हुए हैं और ये वे हैं जिन्‍होंने वंदे मातरम की भावना को आत्‍मसात किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र संगठनों को विश्‍वविद्यालय चुनावों के प्रचार के दौरान स्‍वच्‍छता को अधिक महत्‍व देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि केवल वे लोग जो महिलाओं का सम्‍मान करते हैं, वे ही स्‍वामी विवेकानंद के सम्‍बोधन के शुरूआती शब्‍दों ‘अमरीका के भाइयों और बहनों’ पर सही रूप में गर्व कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद और जमशेदजी टाटा के बीच पत्राचार यह दर्शाता है कि स्‍वामी जी का ध्‍यान भारत की आत्‍मनिर्भरता पर था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ज्ञान और कौशल दोनों समान रूप से महत्‍वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब लोग कहते हैं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। लेकिन काफी समय पूर्व स्‍वामी विवेकानंद ने ‘वन एशिया’ का सिद्धांत दिया था और कहा था कि विश्‍व की समस्‍याओं का हल एशिया के माध्‍यम से होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सृजनात्‍मकता और नवाचार के लिए विश्‍वविद्यालय परिसर से बढ़कर कोई और स्‍थान नहीं हो सकता। उन्‍होंने क‍हा कि ‘एक भारत, श्रेष्‍ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने के लिए संस्‍थानों की और विभिन्‍न राज्‍यों की संस्‍कृति और भाषा दिवस आयोजित करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बदल रहा है, वैश्वि‍क स्‍तर पर भारत की प्रतिष्‍ठा बढ़ी है और ऐसा जन शक्ति के कारण हुआ है। उन्‍होंने छात्र समुदाय का आह्वान किया कि ‘वे नियमों का पालन करें और भारत की विजय गाथा को आगे बढ़ायें।’