केंद्रीय मंत्रिमंडल के ताजा विस्तार को सब अपने नजरिए से पढ़ रहे हैं। देश को पहली महिला रक्षा मंत्री मिली, तो रोजगार संपन्न बनाने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय को नया कैबिनेट मंत्री मिला है। इसके जरिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जता दिया है कि कौशल विकास के मार्फत रोजगार का वातावरण पैदा करना उनकी ड्रीम योजना का हिस्सा है। मकसद रोजगार और नौकरी दिलाने के माहौल में गुणात्मक बदलाव लाना है।
कौशल विकास के जरिए युवकों को नौकरी की तलाश में भटकने के लिए छोड़ने के बजाय उसे खुद का रोजगार खड़ा करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कौशल विकास का काम नया नहीं है। मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार इसे नया तेवर और धार देने का काम किया है। इसके जरिए 2022 तक नए इंडिया के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने का उपक्रम किया जा रहा है। ढाई साल पहले कौशल विकास के लिए अलग से इस नए मंत्रालय का गठन किया गया।
कौशल विकास के काम को अत्याधुनिक रुप दिया जा रहा है। इसके जरिए गांव, पंचायत,प्रखंड,प्रमंडल स्तरों पर अंतर्राष्ट्रीय मानको पर आधारित प्रशिक्षण केंद्र विकसित किए जा रहे हें। नए कौशल विकास केंद्र शुरु करने के साथ ही काम को विस्तार देते हुए देश भर चल रहे औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) को कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के मातहत ले आया गया है। पहले आईटीआई श्रम मंत्रालय के अंतर्गत चल रहा था। यह सब नए इंडिया के निर्माण के दिशा में द्रुत गति से बढने के लिए किया जा रहा है। यह सब युवकों को रोजगार सपन्न बनाने की अनिवार्यता का हिस्सा है।
रोजगार सपन्न बनाने के लिए तीन स्तरों पर काम हो रहा है। पहला, स्किल इंडिया। दूसरा, स्टार्ट अप इंडिया। और तीसरा, मेक इन इंडिया। इन तीनों को मकाम हासिल करना आसान नहीं। इसके लिए कौशल संपन्न लोगों के बदौलत मीलों सफर तय करना बाकी है।
हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी युवाओं की आबादी है। हमारी कुल आबादी के पैंसठ फीसद लोग 35 वर्ष से कम के हैं। इनको टारगेट कर स्कील इंडिया के तहत कौशल विकास का काम किया जाना है। एक अनुमान के मुताबिक इतनी बड़ी आबादी को अगर कौशल से सुज्जित कर दिया जाए तो भारत दुनिया का सबसे दक्ष कार्यबल बन जाएगा। आज रोजगार की तलाश में बाजार में दस लाख युवक आ रहे हैं लेकिन कौशल के अभाव में उनको उचित अवसर नहीं मिल पाता। नियोक्ता इस आधार पर उसकी पात्रता को कम करके आंकता है कि उसके पास उसकी जॉब के अनुरुप जानकारी नहीं है।
प्रधानमंत्री की भारत को रोजगार सपन्न बनाने की भावना के अनुरुप कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री का पदभार संभालने के बाद श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने एलान किया कि कौशल विकसित करने के मुहिम को तेज किया जाएगा। इसके लिए मंत्रालय की ओर से रोजगार के अनुकूलमाहौल बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे नए मंत्री का आशय संभवत पिछले दिनों प्रधानमंत्री कौशल विकास विकास केंद्रों (पीएकेवीवाई) को चलाने में आ रही दिक्कतों के निदान से संबंधित था। पीएमकेवीवाई का प्रशिक्षण केंद्र खोलकर स्थानीय स्तर पर कौशल विकास का काम हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में व्यापक स्तर पर शुरु किया जा चुका है। बीते दिनों इन तीन राज्यों में प्रशिक्षण केंद्रों की बाढ़ सी आ जाने के कारण राष्ट्रीय स्कील डेवलपमेंट कॉउसिल (एनएसडीसी) को प्रतिकूल निर्णय लेना पड़ा। मंत्रालय की ओर से यह तय किया गया कि उन तीन राज्यों में पीएमकेवीवाई के किसी भी जॉब के लिए फिलहाल कोई प्रशिक्षण केंद्र शुरु नहीं किया जाएगा। पीएमकेवीवाई के केंद्रों पर केंद्र सरकार की मदद से अठारह वर्ष से ज्यादा उम्र के गैरनियमित पढाई करने वाले बेरोजगारों को विभिन्न ट्रेड में मुफ्त कौशल प्रशिक्षण देने की सुविधा है।
दरसल, कौशल विकास केंद्रों से निकलने वाले युवा नौकरी की तलाश में भटकने के बजाय उद्यमिता के लिए भी प्रेरित होते हैं। रोजगार प्राप्ति की दिशा में कौशल विकास परियोजनाओं की सफलता इतिहास रच सकती हैं। किसी भी विकसित देश का अवलंब उसके वर्क फोर्स पर निर्भर होता है। भारत में महज दो से तीन फीसदी लोगों का ही वर्क फोर्स है। जबकि जापान में 15 फीसदी तो चीन में तीस फीसदी लोग वर्क फोर्स बनकर विकास के इंजन को चला रहे हैं। सक्षम राष्ट्र बनने के लिए वर्क फोर्स की तादाद बढाने की जरुरत है। अगर आबादी कौशल संपन्न हो जाती है, तो अधिक आबादी का होना हमारे लिए वरदान बन सकता है।
कौशल विकास के जरिए कम पढे लिखे लोगों में बाजार की मांग के अनुरुप तैयार किया जा सकता है। कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय का लक्ष्य ग्रामीण स्तर पर पहुंचकर युवकों को रोजगार बाजार के लिए तैयार करना है। इसके लिए देश के चार सौ संसदीय क्षेत्र में प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र (पीएमकेके) की शुरुआत करने की योजना पर काम चल रहा है। तकरीबन ढाई सौ पीएमकेके का उद्घाटन हो चुका है। इन केंद्रो को प्राइवेट पार्टनरशिप में सरकार के सौ फीसदी सरकारी अनुदान से चलाया जाना है।
इन कौशल विकास केंद्रों में पल्म्बर, इलेक्ट्रिशियन, मोबाइल मैकानिक से लेकर ब्यूटिशियन और सिलाई के काम में महिलाओं को दक्ष करने का प्रशिक्षण होना है। कौशल विकास मंत्रालय पीएमकेके के साथ आवासीय सुविधा को जोड़ने पर काम कर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए आवंटनों को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इसके जरिये सरकार की मंशा है कि एक करोड़ गरीब परिवारों को इस बार गरीबी रेखा से बाहर किया जा सके। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और क्रेडिट सहायता योजना के लिए आवंटन को बढ़ाकर तीन गुना से अधिक कर दिया है।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के मुताबिक पारंपरिक रोजगारों का स्वरूप बदल रहा है। छोटे बड़े कामों को तकनीक प्रधान बना दिया गया है। कौशल विकास पाठ्यक्रमों में इन तकनीकी पहलूओं को प्रमुखता से शामिल किया गया है। कौशल केंद्रों में शार्ट टर्म ट्रेनिंग से निकलने वाले लोग अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनके जॉब से संबंधित जानकारी में प्रवीण किए जाते हैं। कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद युवा चाहे तो भारत सरकार की “मुद्रा” आदि योजनाओं का लाभ उठाते स्वावलंबी बन सकता है। खुद का रोजगार खड़ा कर सकता है। नौकरी के लिए बाजार में ठोकरें खाने के बजाय स्वरोजगार के जरिए उन जैसे कई लोगों को नौकरी दे सकता है।
कौशल विकास केंद्रों पर खुद की उद्यमिता शुरु करने की भावना को बढावा दिया जाता है। इसके लिए केंद्रों के प्रशिक्षकों को निस्बड के प्रशिक्षण से लैस किए जाने को अनिवार्य बनाया गया है। केंद्रों पर बैंकों की स्वरोजगार संबंधी ऋण योजना की पर्याप्त जानकारी दी जाती है। पीएमकेवीवाई 2 के केंद्रों पर कॉउसलिंग कक्ष होने की अनिवार्यता को शामिल किया गया है।
*लेखक तीन दशकों से मुख्यधारा की पत्रकारिता में हैं। प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं व टीवी चैनल्स में अरसे तक काम किया है। फिलहाल रेडियो और वेब जनर्लिज्म के लिए लेखन के साथ पठन पाठन में सक्रिय हैं।