वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों से देश में पेट्रोल 80 रुपये प्रति लीटर और डीजल 67 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच गया. वहीं ग्लोबल मार्केट में मंगलवार को क्रूड ऑयल 70 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया. क्रूड ऑयल का यह स्तर 2014 में आई नाटकीय गिरावट के पहले का है यानी क्रूड की कीमतें लगभग तीन साल पुराने उच्चतम स्तर के पार चली गई है. ऐसे में एक बार फिर कयास लगना शुरू हो गया है कि क्या इससे पहले वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचे देश में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार निकल जाएगी?
ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल के लिए साल 2012 से 2017 तक का सफर देश की राजनीति के लिए गेमचेंजर साबित हो चुका है. पिछली कांग्रेस सरकार की चुनौतियों को ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों ने इतना बढ़ा दिया कि 2014 में महंगाई के मुद्दे पर सरकार को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2014 में चुनाव के नतीजों आते ही केन्द्र में बनी नई बीजेपी सरकार के लिए ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतें वरदान साबित हुई. इस दौरान हुए उतार-चढ़ाव के बीच जहां ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल से लेकर 30 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़की, वहीं देश में पेट्रोल की कीमत 76 रुपये से 56 रुपये प्रति लीटर तक गई. अब एक बार फिर ग्लोबल मार्केट में क्रूड की कीमतों में सुधार होना शुरू हो चुका है.
मोदी सरकार को मिला था सस्ते पेट्रोल का वरदान
जनवरी 2012 में मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई और 2014 में हुए आम चुनावों तक यह कीमत लगातार 100 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रही. अप्रैल 2014 में चुनाव हुए और क्रूड की कीमतों में फिसलन की भी शुरुआत हुई. चुनाव के नतीजे आते ही मई 2014 में शुरू हुई यह फिसलन दिसंबर 2015 तक क्रूड की कीमत को 100 डॉलर प्रति बैरल से गिराकर 50 डॉलर प्रति बैरल पर ले आई. यह फिसलन यहीं नहीं खत्म होती. जनवरी 2016 तक क्रूड ऑयल की कीमतें गिरकर अपने अबतक के न्यूनतम स्तर 30 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई. गौरतलब है कि कच्चे तेल की कीमतें केन्द्र सरकार के खजाने से खर्च का सबसे बड़ा और सबसे अहम खर्च है. यहां बचा हुआ एक-एक पैसा सरकार को अपनी आर्थिक-सामाजिक नीतियों को आगे बढ़ाने के काम आता है.
इसे पढ़ें: आर्थिक सर्वेक्षण: GDP को नोटबंदी, क्रूड ऑयल की कीमतों से सबसे बड़ा खतरा
पहले से कितना बदल चुके हैं हालात?
देश में पेट्रोल की कीमत निर्धारित करने का नियम बदल चुका है. जहां पहले प्रति महीने इंपोर्ट कॉस्ट के आंकलन के साथ टैक्स जोड़कर प्रति दो माह पर पेट्रोल की कीमत निर्धारित की जाती थी. इसके बाद इस फॉर्मूले पर पेट्रोल की कीमत प्रति माह और फिर प्रति सप्ताह निर्धारित की जाने लगी. लेकिन बीते कुछ महीनों से ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल के प्रति दिन उतार-चढ़ाव और देश में टैक्स के आंकलन से प्रति दिन पेट्रोल की कीमत निर्धारित की जाती है. लिहाजा इन तीन साल के दौरान क्रूड की कीमतों में भारी फेरबदल से पेट्रोल की कीमत में भी उतार-चढ़ाव का सिलसिला बना रहा है.
2014 में क्रूड की फिसलन का आम आदमी को पहला फायदा 2015 में मिलना शुरू हुआ. जहां क्रूड 30 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया था वहीं दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत पहली बार 60 रुपये प्रति लीटर के नीचे गई. हालांकि पूरे साल के दौरान पेट्रोल की कीमत 66 रुपये से 60 रुपये प्रति लीटर तक रही. 2016 में अक्टूबर तक सस्ते पेट्रोल का खेल खत्म हो गया और यहां से एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी शुरू हो गई. इस दौरान एक लीटर पेट्रोल की कीमत वापस 66 रुपये से बढ़कर 70 रुपये के स्तर पर पहुंच गई और साल 2017 के दौरान एक बार फिर पेट्रोल की कीमत 70 रुपये प्रति लीटर से 63 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई. अब 2018 की शुरुआत में एक बार फिर क्रूड ऑयल की कीमतों में इजाफा होने लगा है और वैश्विक स्तर पर जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में बढ़ती कीमतों से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होना शुरू हो जाएगा.
जब 150 डॉलर पहुंच गई थी क्रूड की कीमत
वैश्विक संस्था ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की भविष्यवाणी है कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति में 2020 तक क्रूड ऑयल की कीमत 270 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है. गौरतलब है कि 2008 में क्रूड ऑयल अबतक के सर्वाधिक स्तर 145 डॉलर प्रति बैरल पर थी. वहीं 2015 और 2016 के दौरान खाड़ी देशों में जारी विवाद और चीन समेत विकासशील देशों में मांग की कमी के चलते क्रूड ऑयल की कीमत 30 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई. ओईसीडी की यह भविष्यवाणी का आधार है कि आने वाले वर्षों में चीन और भारत जैसी अर्थव्यवस्थाएं रफ्तार पकड़ने के लिए इंधन के मांग में बड़ा इजाफा कर सकती है.
इसे पढ़ें: जानें बजट 2018 की स्पीच का शेयर बाजार पर पड़ेगा क्या असर!
बिना 100 डॉलर क्रूड के भी 100 रुपये लीटर होगा पेट्रोल?
भारत में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये का पार जाने के लिए जरूरी नहीं कि क्रूड ऑयल इस स्तर को छुए. बीते तीन साल तक देश में क्रूड की कीमत और केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लिया जा रहा टैक्स पेट्रोल की कीमत को उसी समय 100 रुपये तक पहुंचा सकता है जब एक बार फिर क्रूड ऑयल 2014 के स्तर यानी 100 डॉलर प्रति बैरल को छू ले. गौरतलब है कि देश में जुलाई 2017 में जीएसटी लागू किया गया लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों को जीएसटी दायरे से बाहर रखी गई. ऐसा इसलिए किया गया कि पेट्रोल-डीजल पर राज्यों द्वारा लगाया जा रहा टैक्स उनके वार्षिक रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा है. जीएसटी के तहत इसे लाए जाने के बाद पूरे देश में पेट्रोल-डीजल पर केन्द्रीय टैक्स लगाकर एक कीमत पर बेचना शुरू हो जाएगा.