राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार गबन मामले में दोषी मान लिया गया है. वह चारा घोटाले के देवघर कोषागार से जुड़े एक मामले में सजा पाने के बाद रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं. इस मामले में बहस दस जनवरी को पूरी हो गई थी और इस मामले में अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था. यह मामला बीस साल पुराना है.
दस जनवरी को अदालत ने इस मामले में अपना फैसला 24 जनवरी के लिए सुरक्षित कर लिया था.
यह है मामला, ऐसे चला केस
चाईबासा कोषागार से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इसमें साल 1996 में केस दर्ज हुआ था. इस मामले में कुल 76 आरोपी थे, जिनमें लालू प्रसाद और डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के नाम भी शामिल हैं.
हालांकि सुनवाई के दौरान 14 आरोपियों का निधन हो चुका है. दो आरोपियों सुशील कुमार झा और प्रमोद कुमार जायसवाल ने अपना जुर्म कबूल लिया, जबकि तीन आरोपियों दीपेश चांडक, आरके दास और शैलेश प्रसाद सिंह को सरकारी गवाह बना दिया गया है.
1996 में ही चाईबासा ट्रेजरी मामले में लालू पर मामला दर्ज हुआ. चारा घोटाले में लालू यादव पर देवघर ट्रेजरी समेत कुल 6 मामले दर्ज हैं. जुलाई 1997 में लालू यादव ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और कोर्ट ने लालू को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. साल 2000 में लालू पर आरोप तय हुए. साल 2002 में रांची की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू हुई और अक्टूबर 2013 में लालू यादव को दोषी करार दिया गया और उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई. अब तक जेल में लालू यादव 375 दिन की सजा काट चुके हैं.