केंद्र सरकार ने पांच साल से ज्यादा समय तक खाली रहने वाले सरकारी पदों को खत्म करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए हैं. सभी सरकार विभागों और मंत्रालयों को इस बारे में एक व्यापक रिपोर्ट देने को कहा गया है.
वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक मेमोरेंडम में कहा है, ‘सभी मंत्रालयों और विभागों से कहा गया था कि पांच साल से ज्यादा समय से खाली पड़े पदों को खत्म करने के बारे में वे एक्शन टेकन रिपोर्ट जमा करें. कुछ विभागों और मंत्रालयों ने इस पर प्रतिक्रिया जाहिर की है, लेकिन कुछ ने व्यापक रिपोर्ट देने की जगह टुकड़े-टुकड़े में जानकारी दी है.’
गौरतलब है कि सरकार वैसे ही रोजगार सृजन के मोर्चे पर आलोचना का सामना कर रही है, ऐसे में तमाम पदों को खत्म करने की कवायद की भी आलोचना हो सकती है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार मंत्रालय ने कुछ दिनों पहले भेजे गए इस मेमोरेंडम कहा था, ‘सभी मंत्रालयों, विभागों के वित्तीय सलाहकारों और संयुक्त सचिवों से कहा गया है कि वे ऐसे पोस्ट की पहचान करें जो पांच साल से ज्यादा समय से खाली हैं और इस बारे में एक व्यापक रिपोर्ट जमा करें कि इन पदों को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए गए.’
इस मेमोरेंडम के बाद गृह मंत्रालय ने सभी अतिरिक्त सचिवों, संयुक्त सचिवों, अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुखों और अन्य संबंधित संगठनों से यह अनुरोध किया है कि वे इस बारे में व्यापक रिपोर्ट जमा करें.
एक अनुमान के अनुसार केंद्र सरकार में कई हजार पोस्ट ऐसे हैं जो पांच साल या उससे भी ज्यादा समय से खाली हैं.
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने साल 2014 में सत्ता में आने के बाद हर साल 1 करोड़ नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा था. लेकिन पिछले चार साल में वास्तव में रोजगार का सृजन महज कुछ लाख का ही हो सका. लेबर ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 में महज 4.16 लाख नौकरियों का सृजन हो पाया. सरकारी नौकरियां तो वैसे ही बहुत कम हैं, ऐसे में इन पदों को खत्म करने का मतलब है कि रोजगार और सिमट सकता है. हालांकि इन पदों को खत्म करने के पीछे एक तर्क यह दिया जाता है कि अगर पांच साल तक इन्हें नहीं भरा गया, तो इसका मतलब यह है कि विभाग को इनकी जरूरत ही नहीं है.