पूर्वोत्तर में लेफ्ट के दुर्ग कहे जाने वाले त्रिपुरा में बीजेपी कमल खिलाने के लिए बेताब है. मिशन त्रिपुरा को फतह करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य की रणभूमि में 8 फरवरी को उतर रहे हैं. 18 फरवरी को राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मतदान से पहले पीएम मोदी दो बार राज्य का चुनावी दौरा कर जनसभा को संबोधित करेंगे.
त्रिपुरा भले ही छोटा राज्य है लेकिन बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसीलिए पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. त्रिपुरा की जीत न सिर्फ चुनावी जीत होगी बल्कि यह वैचारिक जीत भी साबित होगी. इसी के मद्देनजर बीजेपी ने अपने सबसे प्रभावी चेहरे नरेंद्र मोदी को रण में उतारने का प्लान किया है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब ने बताया कि पीएम मोदी 8 फरवरी को त्रिपुरा के उनाकोटि जिले के कैलाशहर में और दूसरी जनसभा दक्षिणी त्रिपुरा जिले के शांतिर बाजार में संबोधित करेंगे. इसके बाद दोबारा मोदी 15 फरवरी को राज्य में चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए उतरेंगे.
राज्य की 60 सीटों पर 18 फरवरी को मतदान
बता दें कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. 18 फरवरी को मतदान और तीन मार्च को नतीजे आएंगे. राज्य में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं. राज्य में पिछले पांच चुनाव से लेफ्ट जीतकर सत्ता के सिंहासन पर विराजमान होती आ रही है.
त्रिपुरा के रण में ये बीजेपी के स्टार प्रचारक
प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह त्रिपुरा में एक सप्ताह तक रहेंगे और इंडिजनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करेंगे. उन्होंने बताया कि बीजेपी के 40 शीर्ष नेता चुनाव प्रचार के लिए राज्य आएंगे, जिनमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं.
त्रिपुरा की सियासत पर लेफ्ट का कब्जा
गौरतलब है कि त्रिपुरा में 1978 के बाद से वाम मोर्चा सिर्फ एक बार 1988-93 के दौरान सत्ता से दूर रहा था. बाकी सभी विधानसभा चुनावों में लेफ्ट का कब्जा रहा है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों से वाममोर्चा जीतती आ रही है.
1998 से लगातार त्रिपुरा में 3 बार से सीपीएम के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के सामने इस बार बीजेपी एक बड़ी चुनौती बनी है. राज्य में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. वहीं बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट के क्षेत्रों पर फोकस किया है. इसके अलावा आरएसएस लगातार पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में सक्रिय है.
बीजेपी राज्य की सत्ता से लेफ्ट को बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. आरएसएस से लेकर बीजेपी के पन्ना प्रमुख बूथ स्तर के एक-एक वोटरों के संपर्क करने में जुटे हैं. राज्य में बीजेपी के प्रभारी राम माधव गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं.
बीजेपी ने त्रिपुरा की 60 सीटों में से 35 सीटों पर फोकस किया है. खासकर उन सीटों पर जहां सीपीएम 3000 से कम मतों के अंतर से जीती है. बीजेपी ने इन सीटों के लिए रणनीति बनाई है. इतना ही नहीं पीएम मोदी की रैली को सफल बनाने के लिए बीजेपी त्रिपुरा के ईसाई समुदाय के साथ भी लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. त्रिपुरा में बड़ी आबादी ईसाई समुदाय की है.
त्रिपुरा का सियासी समीकरण
त्रिपुरा के 2013 विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 60 सीटों में से वाममोर्चा ने 50 सीटें जीती थी, जिनमें से CPM को 49 और CPI को 1 सीट. जबकि कांग्रेस को 10 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था, लेकिन तीन साल के बाद 2016 में कांग्रेस के 6 विधायकों ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ज्वाइन कर लिया था. इन छह विधायकों टीएमसी भी रह नहीं सके और सभी 6 विधायकों ने अगस्त 2017 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया.