पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों में गिरावट आना शुरू हो गई है. 6 फरवरी को मुंबई में जहां एक लीटर पेट्रोल 81.24 रुपये का मिल रहा था. शुक्रवार को यहां एक लीटर के लिए 81.21 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.
देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से गिरावट आनी शुरू हो गई है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी जिम्मेदार है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आ रही तेजी पर ब्रेक लग गया है. कच्चे तेल में लगातार पांचवें दिन गिरावट देखने को मिल रही है. विशेषज्ञों का का कहना है कि इसकी कीमतें 62 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकती है.
अगर ऐसा होता है, तो पेट्रोल और डीजल की लगातार आसमान पर पहुंच रही कीमतों पर भी ब्रेक लगेगा. इसके साथ ही महंगाई पर भी लगाम कसी जा सकेगी.
विशेषज्ञों के मुताबिक यूएस में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा है. वहीं, दुनियाभर में इसकी डिमांड घटी है. यही वजह है कि कच्चे तेल की कीमतें लगातार नीचे आ रही हैं. ब्रेंट क्रूड 26 दिसबर के बाद से अब तक 10 फीसदी सस्ता हो चुका है.
इससे कच्चे तेल के 80 डॉलर के पार पहुंचने का खतरा कम हो गया है. इसके साथ ही यह मोदी सरकार को अपनी बैलेंस शीट सुधारने का मौका भी देगा.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें घटने का फायदा आपको सस्ते पेट्रोल और डीजल के तौर पर मिलेगा. इसके साथ ही देश में महंगाई पर लगाम कसने में भी मदद मिलेगी.
6 फरवरी के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. 6 फरवरी को मुंबई में जहां एक लीटर पेट्रोल के लिए लोग 81.24 रुपये चुका रहे थे. पिछले तीन दिनों में यह घटकर 80.21 प्रति लीटर पर आ गई है. इंडियन बास्केट में क्रूड सस्ता होने का फायदा मिला है.
कच्चे तेल की की घटती कीमतों ने मोदी सरकार के लिए भी राहत लाने का काम किया है. इसकी वजह से सरकार को महंगाई पर लगाम कसने में मदद मिलेगी.
वैश्विक वित्तीय संस्थान ‘UBS’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब भी कच्चे तेल की कीमतों में 10 फीसदी की भी बढ़ोतरी होती है, तो इससे सीपीआई इन्फलेशन में 25 बेसिस प्वॉइंट की बढ़ोत्तरी होने की आशंका रहती है. ऐसे में कच्चे तेल की घटती कीमतें आम आदमी के साथ ही मोदी सरकार को भी महंगाई की चिंता से मुक्ति दिलाएंगी.