श्रीनगर के सीआरपीएफ मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में एक जवान शहीद हो गया, वहीं सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया. ये हमला और भी बड़ा हो सकता था, लेकिन सीआरपीएफ संतरी के पद पर तैनात कॉन्स्टेबल रघुनाथ घैत की मुस्तैदी ने अनहोनी को टाल दिया. अब सीआरपीएफ ने रघुनाथ को उनकी बहादुरी का इनाम दिया है.
सीआरपीएफ ने रघुनाथ का आउट ऑफ टर्न प्रमोशन करने का फैसला किया है. यानी उनकी जाबांजी पर उन्हें तुरंत प्रमोट किया जाएगा. 27 साल के रघुनाथ की मुस्तैदी के कारण ही दोनों आतंकियों को पहचाना गया था और सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन शुरू किया था.
ऑपरेशन के बाद से ही रघुनाथ की देशभर में तारीफ हो रही थी. सीआरपीएफ के डीजी आरआर भटनागर ने बताया कि हमने उनका टर्न प्रमोशन (तुरंत तरक्की) करने का फैसला किया है, इसके लिए गृह मंत्रालय से बात की जा रही है. सूत्रों की मानें, तो इस सिफारिश को फास्ट ट्रैक के आधार पर किया जाएगा. जैसे ही फैसला लिया जाता है, औपचारिक ऐलान भी कर दिया जाएगा.
कुछ इस तरह रघु की मुस्तैदी ने रोकी थी अनहोनी
कॉन्स्टेबल रघुनाथ घैत जो कि सीआरपीएफ की 23वीं बटालियन पर संतरी की पोस्ट पर मुस्तैद हैं, सोमवार को उनकी ही चतुराई ने अनहोनी होने से रोकी. जिसकी तारीफ सीआरपीएफ के डीजी आरआर भटनागर ने भी खुले दिल से की है.
27 वर्षीय रघुनाथ उस दौरान मुख्यालय के बाहर ही ड्यूटी कर रहे थे, जब उन्होंने आतंकियों को हाथ में हथियार लेते हुए मुख्यालय में आते हुए देखा. और उन्होंने आतंकियों पर फायरिंग शुरू कर दी.
भटनागर ने बताया कि हमारे संतरी ने आतंकियों की संदिग्ध गतिविधियों को देखा, और उन पर फायरिंग की. जिसके बाद ही हमने अपनी क्विक रिएक्शन टीम को भेजा, जिसके बाद आतंकी बिल्डिंग में छुप गए. भटनागर ने कहा कि इस लड़के की वजह से कई लोगों की जिंदगी बच गई, अगर आतंकी अंदर घुस जाते तो अनहोनी काफी बड़ी हो सकती थी.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी एसपी वैद्य ने भी संतरी रघुनाथ की तारीफ की है. उनका कहना है कि लड़के की होशियारी के कारण ही आतंकी अपने मिशन को अंजाम देने में नाकाम रहे. 27 वर्षीय रघुनाथ महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के नंदुरा गांव का रहने वाले हैं.
आपको बता दें कि श्रीनगर में दो आतंकियों को मारने का एनकाउंटर करीब 32 घंटे तक चला था. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में आतंकी हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. हाल ही में हुए हमलों में जम्मू के सुंजवां में 6 और श्रीनगर में 1 जवान शहीद हुए थे.