ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी तीन दिन के भारत दौरे पर आए हैं. वे गुरुवार को हैदराबाद पहुंचे. उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शनिवार को द्विपक्षीय वार्ता होगी. इस दौरान दोनों के बीच 15 समझौते होंगे और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि चाबहार पोर्ट के विकास के अगले चरण पर बात हो सकती है.
साल 2003 के बाद ईरान के किसी राष्ट्रपति की यह पहली भारत यात्रा है. वैसे रूहानी एक बार पहले भी भारत आ चुके हैं. वह जनवरी, 2003 में ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति के साथ भारत आए थे, तब वह उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. सूत्रों ने
इस बार की बातचीत मुख्यत: कनेक्टिविटी, व्यापार और संस्कृति पर केंद्रित होगी. इसके अलावा ऊर्जा और सुरक्षा जैसे मसलों पर भी बात होगी. भारत के शिया मुसलमानों के बीच पहुंचने के लिए राष्ट्रपति रूहानी ने भारत यात्रा की शुरुआत हैदराबाद के मक्का मस्जिद से की.
रूहानी गुरुवार को हैदराबाद गोलकुंडा इलाके में स्थित कुतुब शाही शासकों के मकबरे पर गए. यह मकबरे आम तौर पर सात मकबरों के नाम से प्रसिद्ध हैं और इनका निर्माण ईरानी स्थापत्य कला के आधार पर किया गया है. रूहानी शाम को नई दिल्ली रवाना हो जाएंगे. वे हैदराबाद में कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे.
कनेक्टिविटी के लिहाज से कहें तो चाबहार बंदरगाह के मसले पर दोनों देशों के बीच आगे की बात होगी. यह बंदरगाह हाल में चालू हुआ है और इसके माध्यम से ही भारत से ईरान को गेहूं निर्यात आसानी से हो सका है. सूत्रों के अनुसार अब दोनों पक्ष इसमें अगले कदमों पर बात करेंगे. इस पर बात की जाएगी कि बंदरगाह के विकास के बाकी काम को कैसे आगे बढ़ाया जाए, जिसमें कि बिडिंग और टेंडर प्रकिया की कई समस्याओं की वजह से देरी हुई थी.
खुद रूहानी कह चुके हैं कि चाबहार बंदरगाह और अफगानिस्तान से लेकर मध्य एशिया तक की कनेक्टिविटी भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस बारे में तीनों देशों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर दस्तखत भी हुए है. इसके अलावा फरजाद-बी गैस फील्ड, तेल आयात, भारतीय निवेश जैसे मसलों पर भी बात होगी.
गौरतलब है कि ईरान, भारत को तेल निर्यात करने वाले प्रमुख देशों में है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती तेल की कीमतों की वजह से दोनों देशों के बीच इस पर बातचीत काफी महत्वपूर्ण है.
कुलभूषण पर नहीं होगी बात
भारत का यह मानना रहा है कि कुलभूषण जाधव को ईरान से अपहरण कर पाकिस्तान ले जाया गया. लेकिन सूत्रों के अनुसार द्विपक्षीय वार्ता में इस पर कोई चर्चा नहीं होगी. असल में इसके बारे में दोनों देशों के बीच अधिकारी स्तर की वार्ता पहले से हो रही है.