जॉर्डन नरेश अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल हुसैन तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं और मंगलवार की रात को दिल्ली पहुंचेंगे. पीएम मोदी के साथ गुरुवार को उनकी औपचारिक वार्ता होगी. दोनों देशों के बीच प्रतिरक्षा, आतंकवाद निरोध, सुरक्षा और निवेश जैसे कई महत्वपूर्ण मसलों पर बात होगी. सूत्रों के अनुसार जॉर्डन नरेश के इस दौरे में जोर इस बात पर होगा कि इस्लामिक स्टेट और अन्य चरमपंथी आतंकी संगठनों के असर से निपटने में भारत को मिली सफलता को रेखांकित किया जाए. आइए 10 बिंदुओं में जानते हैं कि उनकी इस यात्रा के क्या मायने हैं…
1. कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी जॉर्डन की राजधानी अम्मान होते हुए फिलीस्तीन की यात्रा पर गए थे. भारत उन इस्लामी देशों से अपने रिश्ते बढ़ा रहा है जो कट्टरता और आतंकवाद के खिलाफ माने जाते हैं. जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला आतंक विरोधी अभियानों में भारत के लिए काफी मददगार हो सकते हैं. कश्मीर मामले में भी जॉर्डन ने अब तक निष्पक्ष रवैया अपनाया है.2. किंग अब्दुल्ला द्वितीय पैगंबर मोहम्मद की 41वीं पीढ़ी से हैं और येरुशलम में स्थित इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद के संरक्षक हैं. उन्होंने इस्लाम के नाम पर चल रहे कट्टरपंथ को खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए हैं. इस्लाम में आधुनिकीकरण के पैरोकार अब्दुल्ला इंडिया इस्लामिक सेंटर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ‘उदार इस्लाम’ पर विशेष व्याख्यान देंगे. सूत्रों के अनुसार जॉर्डन ने इस पर अध्ययन किया है कि आईएसआईएस और अन्य संगठनों के असर को कम करने में भारत कितना सक्षम रहा है. किंग अब्दुल्ला की भारत यात्रा के दौरान इस्लाम पर एक किताब का लोकार्पण भी किया जाएगा जो उनके चचेरे भाई प्रिंस गाजी बिन मोहम्मद ने लिखी है.
3. रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिहाज से देखें तो भारत और जॉर्डन एक प्रतिरक्षा समझौते पर बातचीत की प्रक्रिया में लगे हैं. अब्दुल्ला की यात्रा से यह कवायद तेज हो सकती है.
4. जॉर्डन शांतिपूर्ण और उदार इस्लाम की वकालत करता है और आतंकवाद तथा हिंसाग्रस्त देशों के बीच उसे ‘स्थिरता का नखलिस्तान’ भी कहा जाता है. जॉर्डन अक्सर अशांत रहने वाले फिलीस्तीन क्षेत्र में न केवल स्थिरता का वाहक है, बल्कि वह उन कुछ मुस्लिम देशों में से है, जिनका कूटनीतिक रिश्ता मध्य-पूर्व में भारत के सबसे मजबूत सहयोगी इजरायल के साथ है.
5. जॉर्डन नरेश अब्दुल्ला इसके पहले साल 2006 में भारत दौरे पर आए थे और वह इसके पहले दो बार पीएम मोदी से मिल चुके हैं. एक बार साल 2016 में यूएनजीए सम्मेलन में और दूसरी बार, इसी महीने पीएम मोदी के फिलीस्तीन जाते समय अम्मान में.
अब्दुल्ला के सहयोग से भारत जॉर्डन के साथ अपने सुरक्षा रिश्ते और बेहतर कर सकता है और लेवांत इलाके में उसकी विशिष्ट सामरिक स्थिति की मदद से लाल सागर और पूर्वी भूमध्यसागर तक पहुंच को आसान कर सकता है.
6. सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य, संस्कृति, सीमा शुल्क में परस्पर सहयोग, जनसंचार एवं मीडिया और विरासत स्थलों के बारे में कई समझौते हो सकते हैं. जॉर्डन उर्वरक और फॉस्फेट की आपूर्ति कर भारत के खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है. भारतीय निवेशकों ने जॉर्डन के अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार का फायदा उठाया है और उसे टेक्सटाइल निर्यात का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
7. किंग अब्दुल्ला बुधवार को आईआईटी दिल्ली का भी दौरा करेंगे और वह इसके साथ जॉर्डन के टेक्निकल इंस्टीट्यूटस के बीच गठजोड़ की संभावनाएं तलाशेंगे.
8. किंग अब्दुल्ला के साथ एक कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी होगा. वह फिक्की, सीआईआई और एसोचैम द्वारा आयोजित भारत-जॉर्डन बिजनेस फोरम तथा सीईओ राउंड टेबल में भी हिस्सा लेंगे.
9. दोनों पक्षों के बीच स्वास्थ्य, आईटी , कस्टम आदि में कारोबारी सहयोग बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते हो सकते हैं.
10. भारत की 20 टेक्सटाइल कंपनियों ने जॉर्डन में करीब 30 करोड़ डॉलर का निवेश कर रखा है, पीएम मोदी और किंग अब्दुल्ला व्यापारिक रिश्तों और आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे.