शेयर बाजार में पैसे लगाने वालों को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने होली का उपहार दिया है. बीएसई ने रिटेल इन्वेस्टर्स को बढ़ावा देने के लिए शेयर खरीदने की खातिर लगने वाले ट्रांजैक्शन चार्ज को खत्म कर दिया है. अब निवेशकों को बीएसई की 30 कंपनियों के स्टॉक खरीदने के लिए किसी भी तरह का लेन-देन शुल्क नहीं देना होगा. नया नियम 12 मार्च से लागू होगा.
बीएसई ने रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है. फिलहाल यहां ग्रुप ए, बी और अन्य गैर विशिष्ट शेयरों पर प्रतिभूतियों के सौंदों पर शुल्क लगता है. यह शुल्क 50 पैसे से लेकर डेढ़ रुपये तक प्रति सौदा होता है.
बीएसई ने एक बयान जारी कर कहा कि एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 30 के शेयरों से 12 मार्च से लेनदेन शुल्क हटाया जाएगा. उसने उम्मीद जताई है कि इससे सेंसेक्स 30 के शेयरों में लेनदेन के लिए बीएसई पसंदीदा एक्सचेंज बन जाएगा.
बीएसई के सदस्यों को प्रति माह एक शुल्क देना होता है. 1 लाख रुपये तक के सौदों पर डेढ़ रुपये का प्रति सौदा लेन-देन शुल्क देना पड़ता है. इसके अलावा एक लाख से तीन लाख तक के लेन-देन पर सवा रुपये प्रति सौदे के हिसाब से शुल्क देना होता है.
वहीं, तीन लाख से 5 लाख रुपये के सौदे पर यह शुल्क एक रुपये प्रति सौदा हो जाता है. वहीं, 5 लाख से 20 लाख रुपये पर 75 पैसे प्रति सौदा लगता है. अगर आप 20 लाख रुपये से अधिक का सौदा कर रहे हैं, तो आपको 50 पैसे प्रति सौदा देना होता है.
बता दें कि इस साल के बजट में जेटली ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगाया है. इसकी वजह से निवेशक नाखुश हुए. हालांकि बीएसई ने लेन-देन शुल्क खत्म कर फौरी राहत देने की कोशिश जरूर की है.
बचेगा इतना पैसा
बीएसई के मुताबिक लेन-देन शुल्क प्रति ट्रेड के हिसाब से लगता है. उदाहरण के लिए अगर एक निवेशक के महीने के अंत तक टोटल 25 लाख ट्रेड हैं, तो इस पर उसे प्रति ट्रेड 0.50 पैसे शुल्क देना होता है. क्योंकि यह 20 लाख रुपये से ज्यादा है. ऐसे में आप जब लेन-देन शुल्क को कैल्कुलेट करेंगे, तो यह 25,00,000 * 0.5 होगा. इस तरह यह शुल्क 12 लाख 50 हजार रुपये बन जाता है.