श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज , दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह लश्कारा में कॉलेज पोएट्री सोसाइटी एक्रोस्टिक द्वारा ‘शब्दोत्सव’ का आयोजन किया गया I इसके अंतर्गत हिंदी-अंग्रेजी कविता प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं जिसमें दिल्ली और अन्य विश्वविद्यालयों के युवा कवियों ने भाग लिया I इसी अवसर पर “कविता की अन्य विधाओं में उपस्थिति” विषय पर चर्चा आयोजित की गयी जिसमें चर्चित मीडिया विशेषज्ञ एवं कवि प्रांजल धर, जी न्यूज़ के कंटेंट राइटर कृष्णा पांडेय और कला विशेषज्ञ सौम्या कुलश्रेष्ठ ने भाग लिया I
प्रांजल धर ने कविता की अवधारणा स्पष्ट करते हुए कहा कि कविता वह है जो कानों के माध्यम से हृदय को आंदोलित करे, दीन-दुखियों, अनाथों, वंचितों और माँ की पीड़ा को प्रदर्शित करने में सक्षम हो। समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली कविता ही वास्तविक कविता होती है। यही उसका सौंदर्य है। कृष्णा पांडेय ने कविता की उपायदेता को आजीविका से साथ तो जोड़ा ही साथ ही साथ कविता को जीवन जीने की बुनियादी ज़रूरत भी बताया । उन्होंने बताया कि पत्रकारिता कर्म करते हुए समाचार या फीचर लिखते हुए कविता की समझ और शैली बहुत सहायक होती है। आज के समय में जब भी समाचार बनाया जाते है तो शब्दों का चयन कविता द्वारा ही होता है। एक व्यक्ति अपने कमरे में बैठा पूरे भारत का समाचार जान जाता और यह केवल कविता द्वारा ही संभव हो पाता है | अतः उनके अनुसार बेहतर जीवन जीना ही कविता है। सौम्या कुलश्रेष्ठ ने कविता की उपस्थिति को अन्य कलाओं में दर्शाया। उन्होंने संगीत ,नृत्य वस्तु आदि कलाओं में कविता के प्रतिबिम्ब को स्पष्ट किया। वह बताती है कि अंग्रेजी जैसी भाषों में भी कविता के सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है। उनमें भी लय, तुकबंदी आदि का सहारा लिया जाता है । कविता और गद्य के बीच में वह सर्वोपरि कविता को बताती है क्योंकि कविता मनुष्य के भीतर के संवेगों से समन्वय बनाती है , वही दूसरी और गद्य के लिए हमें अपने शरीर के संचालन से हटकर रचना करनी पड़ती है।
चर्चा का संचालन एक्रोस्टिक सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ स्मिता मिश्र ने किया ।इसके बाद अंग्रेज़ी कविता प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरित किये गए। इसी अवसर पर एक्रोस्टिक के विद्यार्थियों ने कविता तुकबंदी के द्वारा सभी उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया ।