उत्तर प्रदेश में गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में समाजवादी पार्टी ने बसपा के समर्थन के बाद जीत हासिल की. इस जीत के बाद गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहली बार बड़ी रैली की. चंडीगढ़ में रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि पंजाब की सरकार ने दलितों और कांशीराम को गंभीरता से नहीं लिया. पंजाब सरकार ने उन्हें नज़रअंदाज कर दिया था. उन्होंने कहा कि दलितों के त्याग को गंभीरता से नहीं लिया गया था, पंजाब में कार्यकर्ता खुद मेहनत करें.
उन्होंने कहा कि जब से केंद्र और देश के कई राज्यों में बीजेपी सरकार बनी है, तभी से आरएसएस के एजेंडे को लागू करने की कोशिश की जा रही है. दलित, मुस्लिम समेत गरीब तबकों का उत्पीड़न किया जा रहा है. मायावती ने इस दौरान कहा कि दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा के मामलों में तेजी आई है. उन्होंने हैदराबाद और ऊना घटना का भी जिक्र किया.
राज्यसभा में मुझे बोलने नहीं दिया गया
उन्होंने कहा कि जब मैंने इस बात को राज्यसभा में बात रखने की कोशिश की तो मेरी बात को नहीं रखने दिया गया था. इसी कारण मैंने राज्यसभा से ही इस्तीफा दे दिया था. मायावती ने कहा कि अगर मैं देश की संसद में ही दलितों की बात नहीं रख सकती हूं तो यहां रहने का क्या फायदा, इसलिए राज्यसभा से इस्तीफा दिया था. मायावती ने कहा कि बीजेपी दलित विरोधी पार्टी है. मायावती बोलीं कि सहारनपुर में जो हिंसा हुई उसे जानबूझकर बढ़ावा दिया गया.
उन्होंने कहा कि आरक्षण को रोकने के लिए प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है. बसपा ने कभी भी पिछड़े समाज को आरक्षण देने का विरोध नहीं किया है, मंडल कमीशन की रिपोर्ट को हमारे दबाव के बाद ही लागू किया गया था.
मायावती का कांग्रेस पर वार
मायावती ने रैली में कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया था, ये उनकी सोच को दर्शाता है. बसपा ने करीब 6 महीने तक इसके लिए धरना दिया था, जिसके बाद वीपी सिंह सरकार ने उसे लागू किया.
मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने लगभग 3 से 4 दशक तक बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया था. काफी समय के बाद वीपी सिंह की सरकार ने ही बाबा साहेब को भारत रत्न दिया था. लेकिन बाद में बीजेपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. उन्होंने कहा कि अब बीजेपी पिछड़ों को लुभाने की कोशिश कर रही है.
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर-फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में सपा के साथ गठबंधन पर बसपा ने काफी समय के बाद जीत का स्वाद चखा है. मायावती की इस रैली को 2019 चुनावों के लिए बसपा की ओर से शंखनाद बताया जा रहा है. बसपा के संस्थापक रहे कांशीराम का आज जन्मदिन है, इसी मौके पर ये रैली आयोजित की गई.
यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन की जीत के बाद अब मायावती की कोशिश है कि 2019 में बीजेपी को हराने के लिए सभी विपक्षी दल एक साथ आएं. गौरतलब है कि 2014 और 2017 में बीजेपी की बड़ी जीत में दलित वोटबैंक का बड़ा हाथ था. दोनों ही चुनावों में बसपा का हाल काफी बुरा रहा था. अब मायावती इस रैली के साथ ही अपने कैडर और दलित वोटबैंक को वापस पाना चाहती हैं.
गौरतलब है कि पंजाब में 31 फीसदी और हरियाणा में 21 फीसदी से ज्यादा दलित रहते हैं. हालांकि बसपा पिछले लोकसभा और विधान सभा चुनावों के दौरान अपना वोट बैंक संभालने में नाकाम रही थी लेकिन अब मायावती को दलित प्रधानमंत्री के रूप में पेश करके वह फिर से दलित वोट बैंक हासिल करने की कोशिश में है.
जम गई बुआ-बबुआ की जोड़ी!
उपचुनाव में जीत के बाद अखिलेश यादव ने मायावती से मुलाकात भी की. अखिलेश यादव ने सबसे पहले इस जीत के लिए मायावती का शुक्रिया अदा करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया. इसके बाद आगे की रणनीति पर भी उनकी चर्चा हुई. दोनों के बीच इस गठबंधन को आगे बढ़ाने और 2019 में गठबंधन के साथ-साथ सीटों पर भी सहमति बनाने पर चर्चा हुई.