बहुत कम लोगों को पता होगा कि पारसी समुदाय भी अपना अलग नववर्ष मनाता है. आज के दिन पारसी समुदाय के लोग नया साल मना रहे हैं. इसे नवरोज कहते हैं. पारसी समुदाय के लोगों में नवरोज को लेकर काफी उत्साह रहता है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और इनके घरों में स्वादिष्ट पकवान बनते हैं.
पारसी समुदाय के नववर्ष को नवरोज के अलावा पतेती और जमशेदी नवरोज के नाम से भी जाना जाता है. जमशेदी नवरोज इसलिए क्योंकि इनके योद्धा जमशेद ने ही पहली बार वार्षिक कैलेंडर से लोगों को अवगत कराया था. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, पतेती या नवरोज वसंत ऋतु में उस दिन मनाया जाता है, जब दिन और रात बराबर होते हैं.हिंदू धर्म की तरह पारसी धर्म के लोग भी अग्नि की पूजा करते हैं. ये लोग अग्नि को पवित्र मानकर उसमें आहुति भी देते हैं. पारसी इस दिन नए कपड़े पहनकर अपने पूजा स्थल (फायर टेम्पल) पर जाते हैं और प्रार्थना करते हैं. इसके बाद लोग एक दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं और एक दूसरे को घर पर खाने के लिए आमंत्रित करते हैं.पारसी समुदाय देश की सबसे कम आबादी वाले अल्पसंख्यक समुदायों में से एक पारसी समुदाय के लोगों ने करीब तीन हजार साल पहले से नवरोज मनाने की शुरुआत की थी. इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शुभकामनाएं दी हैं.