कर्नाटक विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. बीजेपी जहां दोबारा से सत्ता में वापसी के लिए बेताब है, वहीं कांग्रेस अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है. राज्य में कांग्रेस का चेहरा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं. वो अपने सियासी समीकरण सेट करने में जुटे हैं.
सिद्धारमैया ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव 3 सिद्धांतों के बीच है. एक धर्मनिरपेक्ष दर्शन, समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है. दूसरा ध्रुवीकरण और सामाजिक असंतोष पर केंद्रित एक सांप्रदायिक विचारधारा है. इसके अलावा तीसरा त्रिशंकु विधानसभा की उम्मीद में एक अवसरवादी राजनीतिक व्यवस्था है.सिद्धारमैया ने कांग्रेस को धर्मनिरपेक्ष दर्शन, समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर आधारित बताया है. इसके तहत कांग्रेस अपने आपको धर्मनिरपेक्ष विचाराधार वाली बताया. इतना ही नहीं सिद्धारमैया अपने शासन में समावेशी विकास करने का दावा भी कर रहे हैं. इसके अलावा सामाजिक न्याय के मसीहा के तौर पर अपने आपको स्थापित कर रहे हैं. सूबे में दलित और ओबीसी का अच्छा खासा वोट कर्नाटक में है.
ध्रुवीकरण और सामाजिक असंतोष पर केंद्रित एक सांप्रदायिक विचारधारा
सिद्धारमैया ने दूसरे विकल्प के तौर ध्रुवीकरण और सामाजिक असंतोष पर केंद्रित एक सांप्रदायिक विचारधारा को बताया है. इसके बहाने वो बीजेपी पर निशान साध रहे हैं. सिद्धारमैया ने साफ तौर पर तो नहीं लेकिन इशारों-इशारो में बीजेपी के सांप्रदायिक विचाराधारा वाली पार्टी बता रहे हैं. इतना ही वो बीजेपी को ध्रुवीकरण करने वाली पार्टी बताया है. बीजेपी के खिलाफ समाजिक असंतोष का आरोप लगाया है.सिद्धारमैया ने कर्नाटक में तीसरे विकल्प के तौर पर त्रिशंकु विधानसभा की उम्मीद में एक अवसरवादी राजनीतिक व्यवस्था को रखा है. सीएम का तीसरे विकल्प का इशारा जनता दल (एस) की ओर है. उनका कहना है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक पार्टी है, जो त्रिशंकु विधानसभा की उम्मीद लगाए बैठी है. अवसरवादी व्यवस्था करार दिया है.