मिशन पर ममता: गैर कांग्रेसी फेडरल फ्रंट खड़ा करने की कोशिशें तेज

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खास मिशन पर दिल्ली में हैं. मिशन है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाले NDA को 2019 लोकसभा चुनाव में सशक्त चुनौती देने के लिए मजबूत फेडेरल फ्रंट खड़ा करना. संसद सत्र चलने के दौरान ही ममता ने रणनीति के तहत मंगलवार को अपना दिल्ली आने का कार्यक्रम रखा.

ममता ने दिल्ली में अपने दिन की शुरुआत संसद में अपनी पार्टी के सांसदों के साथ ही समान विचारधारा वाले विपक्षी नेताओं के साथ मुलाकात से की. ममता एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने संसद में उनके कक्ष तक गईं. एनसीपी सूत्रों के मुताबिक शाम को शरद पवार और ममता बनर्जी के बीच विस्तार से बातचीत हो सकती है. इस महीने के शुरू में शरद पवार ने पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल को कोलकाता भेज कर ममता को डिनर के लिए न्योता दिया था. एनसीपी सूत्रों की ओर से ये साफ किया गया है कि शरद पवार और ममता बनर्जी के बीच ही बातचीत होगी लेकिन पवार के घर पर तमाम विपक्षी पार्टियों के नेताओं के डिनर जैसा कोई कार्यक्रम नहीं है.

इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि उनकी शुभकामनाएं ममता के साथ हैं. फारूक के मुताबिक वो ममता से मिलेंगे. फारूक ने ये कहा कि महागठबंधन वास्तविकता में बदलेगा. ममता बनर्जी ने डीएमके सांसद कनिमोझी से भी मुलाकात के दौरान उम्मीद जताई कि डीएमके तमिलनाडु की सत्ता में आएगी और इसके लिए उन्हें पूरा समर्थन है. ममता के दिल्ली कार्यक्रम में एक उल्लेखनीय मुलाकात शिवसेना सांसद संजय राउत के साथ मुलाकात करना भी रहा. शिवसेना एनडीए में होने के बावजूद तेवर दिखाती रही है. साथ ही ये भी साफ कर चुकी है कि वो 2019 में अगला चुनाव अकेले लड़ेगी. ममता तेलंगाना में टीआरएस और आंध्र में टीडीपी को भी महागठबंधन में साथ लेकर चलने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी दिल्ली प्रवास के दौरान आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात कर सकती हैं. इसके अलावा वे नीतीश कुमार के जेडीयू से अलग राह पकड़ने वाले शरद यादव से भी मुलाकात कर सकती हैं.

फेडेरल फ्रंट का विचार सबसे पहले 19 मार्च को ममता बनर्जी और टीआरएस प्रमुख व तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बीच बातचीत के दौरान सामने आया था. टीआरएस प्रमुख ने ममता के समक्ष आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को दूर रखकर फेडेरल फ्रंट खड़ा किए जाने की बात कही थी. बता दें कि आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में मोदी सरकार के खिलाफ कड़े तेवर दिखाते हुए एनडीए से अलग होने का ऐलान किया था तो ममता ने उनकी जमकर तारीफ की थी.

कांग्रेस जहां नरेंद्र मोदी को सशक्त चुनौती देने के लिए तमाम विपक्षी पार्टियों की एकजुटता पर जोर दे रही है, वहीं टीआरएस जैसी कुछ विपक्षी पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस, दोनों से दूरी बना कर चलने की वकालत कर रही हैं. हालांकि ममता बनर्जी ने कांग्रेस को लेकर अभी अपना स्टैंड साफ नहीं किया है. ये अभी साफ नहीं हो सका है कि दिल्ली में रहने के दौरान ममता कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगी या नहीं. बता दें कि सोनिया गांधी ने हाल में विपक्षी नेताओं के लिए डिनर का आयोजन किया था तो ममता ने खुद शरीक ना होकर अपने नुमाइंदे को भेजा था. हालांकि सोनिया के साथ ममता के अच्छे समीकरणों को देखते हुए कोई ताज्जुब नहीं कि ममता दिल्ली में उनके साथ भी मुलाकात करें. जो भी हो ममता जब तक दिल्ली में रहेंगी, राजनीतिक सरगर्मियां उफान पर रहेंगी. सूत्रों के मुताबिक शरद पवार जैसे दिग्गज नेता इस मौके पर विपक्षी एकजुटता के हर छोटे बड़े पहलुओं पर विचार करने के बाद भावी रणनीति को दिशा देने की कोशिश करेंगे.