चीन ने ऐसे रोका पेपर लीक

सीबीएसई के 10वीं और 12वीं कक्षा के पेपर लीक मामले ने देशभर में हर किसी को चौंका कर रख दिया है. एक झटके में 16 लाख से अधिक स्टूडेंट्स की मेहनत पर पानी फिर गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीन में पेपर लीक की घटनाओं को लेकर किस तरह रोका जाता है.

चीन पेपर लीक को लेकर काफी सख्त है. वहां पर पेपर्स की सुरक्षा के लिए SWAT टीम की मुस्तैदी की जाती है. इसके अलावा परीक्षा केंद्रों पर ड्रोन से नजर रखी जाती है. वहीं पेपर्स की निगरानी के लिए उनमें जीपीएस सिस्टम का सहारा लिया जाता है. अगर इसके बावजूद भी कोई गड़बड़ी करता है तो उसे 7 साल की सजा दी जाती है. ये परीक्षा हर साल जून के महीने में होती है.

इन सभी सुरक्षाओं के बाद चीन का सालाना एग्जाम, नेशनल हायर एजुकेशन एंट्रेंस एग्जामिनेशन का आयोजन किया जाता है. इसे Gaokao भी कहा जाता है. इस परीक्षा की गिनती दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से होती है.

आपको बता दें कि इसके तहत करीब 3 मिलियन (30 लाख) कॉलेज सीट के लिए करीब 10 मिलियन (1 करोड़) बच्चे पेपर देते हैं. इस पेपर के लिए बच्चे करीब 10 साल तक तैयारी करते हैं. सुरक्षा का पैमाना इसलिए भी इतना सख्त होता है क्योंकि इससे बच्चों का करियर बिगड़ या बन सकता है. दूसरी तरफ भारत में बच्चे दबाव में रहते हैं और मेहनत करते हैं. लेकिन इसी बीच चंद पैसों के लिए पेपर लीक हो जाता है. कई बार विभिन्न तकनीक के जरिए भी चीटिंग का मामला सामने आता है.

इन कड़े फैसलों से रुका पेपर लीक मामला!

चीन में पिछले साल ही नकल और पेपर लीक पर रोक के लिए कई कड़े फैसले लिए गए थे. जिसमें जीपीएस सुविधा का सहारा लिया गया था. जीपीएस के सहारे पेपर पर नज़र रखी जाती है, इसमें बोर्ड से पेपर निकलने से लेकर स्टूडेंट तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया को ट्रैक किया जाता है. परीक्षा केंद्रों पर कई तरह के चेकप्वाइंट होते हैं. इनमें चेहरे की जांच, मेटल डिटेक्टर, फिंगरप्रिंट की जांच जैसे कई अहम और सख्त पड़ाव शामिल हैं. चीन ने परीक्षाओं के लिए अलग से SWAT टीम का गठन किया है. इस टीम में 8 पुलिस अफसर होते हैं, जो कि हर परीक्षाकेंद्र पर मुस्तैद रहते हैं. वहीं ड्रोन के जरिए परीक्षा केंद्रों पर नजर रखी जाती है.

परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सिर्फ शिक्षा मंत्रालय ही नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय, इंटरनेट मंत्रालय, सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट और पुलिस को दी जाती है. इन सभी बातों के बाद भी अगर पेपर लीक होता है तो 7 साल की सजा दी जाती है.