चीन के साथ डोकलाम विवाद के बीच भारतीय वायुसेना 8 अप्रैल को बड़ा युद्धभ्यास करने जा रही है. इस युद्धभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना तेजी के साथ चीन से लगने वाली सरहद पर जवानों को उतारने की तैयारियों का जायजा लेगी. इसके साथ ही ये युद्धभ्यास एक साथ पूरे भारत की अलग-अलग सरहदों पर भी होगा.
‘गगन शक्ति’ से ताकत का होगा प्रदर्शन
युद्ध अभ्यास ‘गगन शक्ति’ के दौरान वायुसेना अपनी पूरी मारक क्षमता का प्रदर्शन करेगी. सभी लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मालवाहक विमान इस युद्धभ्यास में शामिल होंगे. युद्धभ्यास ‘गगन शक्ति’ के दौरान वायुसेना अपने स्पेशल ऑपरेशन एयरक्राफ्ट सी-130 जे, सुपर हरक्यूलिस विमान और लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-17 की मदद से सैन्य टुकड़ियों को कम समय और तेजी के साथ युद्ध के मैदान में उतारेगी. ये स्पेशल हेलीकॉप्टर और विमान बहुत छोटे रनवे और सरहद के किसी भी मुश्किल इलाके में उतरने में महारत रखते हैं.
युद्धभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना सैन्य टुकड़ियों को चीन से लगने वाली सरहद और पिथौरागढ़ की ऊंची पहाड़ी इलाकों में एक घाटी से दूसरी घाटी में ड्रॉप करने का अभ्यास करेगी.
डोकलाम विवाद के बाद हाल ही में चीन ने भारत से लगने वाली अलग-अलग सरहद पर अपनी टुकड़ियों को सक्रिय किया है. चीन हर मोर्चे पर अपनी सेना को सक्रिय कर रहा है. ऐसे में जरूरी है कि भारत भी अपनी तैयारियों को चाक चौबंद करे.
हाल ही में भारतीय वायुसेना ने अपना सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई को देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई पट्टी पर उतारा था. वहीं, दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड तुटिंग पर वायुसेना का सबसे बड़ा मालवाहक जहाज सी-17 ग्लोबमास्टर उतारा गया. ‘गगन शक्ति’ के दौरान वायुसेना अपना आधुनिक लड़ाकू विमान सुखोई 13 एमकेआई को चीन से लगने वाली अरुणाचल सरहद के एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर उतारेगी.
युद्धभ्यास ‘गगन शक्ति’ के दौरान भारतीय वायुसेना थल सेना और नौसेना के साथ भी नेटवर्क सेंट्रिक तैयारियों का जायजा लेगी. जिससे युद्ध के हालात में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के साथ दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.
सड़क बनाने में जुटा चीन
वहीं, डोकलाम इलाके में चीन फिर से सड़क और अन्य सैन्य जरूरत का बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है. यही नहीं, चीन की सेना पीएलए इस इलाके में एक मोड़दार सड़क बनाकर भारतीय चौकी से बचने की कोशिश कर रही है. जानकारी के मुताबिक, सिक्किम-भूटान-तिब्बत के त्रिकोण पर डोकलाम इलाके के पास चीन जो बुनियादी ढांचा बना रहा है, वह भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए चिंता की बात है.साथ ही चीन के फिर से निर्वाचित राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि देश की ‘एक इंच जमीन’ भी किसी को हड़पने नहीं देंगे. नेशनल पीपल्स कांग्रेस के 18 दिन के सत्र पूरा होने और अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत पर शी ने यह बात कही थी. शी ने एनपीसी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम अपने दुश्मन के साथ खूनी जंग लड़ने को प्रतिबद्ध हैं. हम दुनिया में अपनी जगह हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्परत हैं. चीन की एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं दी जाएगी.’ पिछले वर्ष चीन ने जून में भूटान के दावे वाले क्षेत्र में सड़क निर्माण की कोशिश की थी, जिसका भारतीय सेना ने विरोध किया था. इस घटना के बाद सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में दोनों देशों की सेनाएं 73 दिन तक एक-दूसरे के आमने-सामने आ गई थी. यह गतिरोध दोनों देश की सेनाओं के बीच 16 जून 2017 को शुरू हुआ था और 28 जून 2017 को समाप्त हुआ था.
डोकलाम विवाद के बाद की स्थिति
यह विवाद दोनों देशों की सहमति के साथ 73 दिन के गतिरोध के बाद समाप्त हुआ. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी और दिसंबर में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात के दौरान जोर देकर कहा था कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध के लिए भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी है.