प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में आयोजित ‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में अपने निजी जीवन के बारे में भी कई बातें बताईं. कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रख्यात गीतकार प्रसून जोशी ने शुरुआत में ही पीएम मोदी से कहा कि आपने रेलवे स्टेशन से रॉयल पैलेस तक का सफर किया है. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि ये तुकबंदी आपके लिए सरल है, लेकिन जिंदगी का रास्ता कठिन है.
पीएम मोदी ने कहा कि रेलवे स्टेशन का सफर मेरी जिंदगी की व्यक्तिगत बात है. वह दौर मेरी जिंदगी का स्वर्णिम पन्ना है. उसने मुझे जीना और जूझना सिखाया. रेल की पटरियों और आवाज से बहुत कुछ सीखा है. और यह लोकतंत्र का ही कमाल है कि आज रॉयल हॉल में एक चाय बेचने वाला भी आप लोगों के बीच पहुंच सकता है. लोकतंत्र में जनता ईश्वर का रूप है. लेकिन रॉयल पैलेस का सफर नरेंद्र मोदी का नहीं है. ये सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों के संकल्प का परिणाम है. ये सवा सौ करोड़ लोगों के संघर्ष की कहानी है. रॉयल पैलेस वाला नरेंद्र मोदी सवा सौ करोड़ लोगों का सेवक है.
कार्यक्रम के दौरान वीडियो के जरिए लोगों ने पीएम मोदी से सवाल भी किए. दिल्ली की प्रियंका वर्मा ने कहा कि जब से आप आए हैं, तबसे सिस्टम काफी बदल गया है. मेरा सवाल है कि हम सरकार क्यों चुनते हैं? ऐसा पहले क्यों नहीं होता था. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया है. देश के किसी कोने में आजादी के लिए संघर्ष रुका नहीं था. लेकिन महात्मा गांधी ने इसे आंदोलन का रूप दिया. हर आदमी को काम पर लगाया. महात्मा गांधी ने आजादी को आंदोलन में परिवर्तित कर दिया. लोगों को भरोसा हुआ आजादी इससे मिल सकती है.उन्होंने कहा कि देश के लिए मर मिटने वालों की कमी नहीं थी, लेकिन गांधी जी ने एक साथ हिंदुस्तान के कोने-कोने में लोगों को खड़ा कर दिया. मोदी ने उम्मीद जताई कि विकास को भी जनांदोलन में बदल जाना चाहिए. सब कुछ सरकार नहीं करेगी. आजादी के बाद एक माहौल बन गया कि हर काम सरकार करेगी. इससे क्या हुआ कि सरकार और जनता के बीच दूरी बढ़ गई. बस में अकेला यात्रा करता आदमी सीट नोचता रहता है, जब उसे मालूम चल जाएगा कि बस उसकी है तो वो ऐसा नहीं करेगा. सरकार ठेके का काम नहीं है. ये जनभागीदारी का काम है. इस कार्यक्रम में दुनियाभर के करीब 2 हजार लोग मौजूद थे.