जज बीएच लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र जांच की अपील वाली याचिका को खारिज कर दिया है. गुरुवार को सुनवाई के दौरान SC ने याचिकाकर्ताओं पर कड़ी टिप्पणियां करते हुए अपना ये फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले का कोई आधार नहीं है. इस मामले से न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. इस फैसले पर वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने कहा है कि, इस मामले में जांच होनी चाहिए थी. याचिका खारिज करना गलत है.
कोई भी न्यायतंत्र को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहता: शरद यादव
शरद यादव ने कहा, ‘जांच होनी चाहिए थी. कोई भी न्यायतंत्र को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहता. पूरा विपक्ष इस मामले में जांच की मांग कर रहा है और आज कोर्ट में क्या हुआ. मुझे लगता है जिस तरह से याचिका को खारिज किया गया और ये कहा गया कि न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, ये गलत है. ये उपयुक्त टिप्पणी नहीं है.’
जज लोया की मौत एक गंभीर मामला: शरद यादव
शरद यादव ने आगे कहा, ‘जज लोया की मौत एक गंभीर मामला है, लेकिन जिस तरह से इस मामले को खारिज कर दिया गया वो सही नहीं है. इस मामले से जुड़े कई मुद्दे हैं. अगर जांच होती तो लोगों का न्यायतंत्र पर विश्वास बढ़ता.’बता दें कि जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे. सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी.
अमित शाह के पेश न होने पर जताई थी नाराजगी
मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था. इस मामले की सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे, लेकिन इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सुनवाई में पेश नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की थी. जिसके बाद उनका तबादला हो गया था. इसके बाद जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई थी.
दिसंबर 2014 में हुई थी मौत
दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी. जिसे संदिग्ध माना गया था. जस्टिस लोया की मौत के बाद जिन जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.