आईआईटी से पढ़े 50 छात्रों ने अपनी नौकरी छोड़कर ‘बहुजन आजाद पार्टी’ नाम से एक राजनीतिक दल का ऐलान क्या किया, सोशल मीडिया पर इस पहल और इसके कर्ताधर्ताओं को लेकर बवाल मचा हुआ है. कोई इन छात्रों की पहल का स्वागत कर रहा है तो कोई तमाम सवाल उठाकर इन्हें कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है. अब एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें इस पार्टी के तीन संस्थापक सदस्यों में से एक पूजा-पाठ करता दिखाई दे रहा है. सवाल उठाए जा रहे हैं कि जो लोग खुद धार्मिक कर्मकांड का हिस्सा हैं वो बहुजनों को ब्राह्मणवाद से कैसे निजात दिला सकते हैं?
बहुजन आजाद पार्टी के संस्थापक सदस्य विक्रांत वत्सल एवं नवीन विद्रोही आईआईटी दिल्ली से पढ़े हुए हैं और सरकार अखिलेश आईआईटी रूड़की से. तीनों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैर रही हैं. जाने-माने पत्रकार और दलित मुद्दों पर लगातार लिखने वाले दिलीप मंडल ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में इन्हें आरएसएस का एजेंट बताया है. वहीं विक्रांत वत्सल की ऐसी तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं जिनमें वे पूरे धार्मिक विधि-विधान से पूजा-पाठ करते नजर आ रहे हैं. अखिलेश कहते हैं, ‘आज हमारी उम्र 27-28 साल है. पांच साल पहले की ये तस्वीरें हैं जब विक्रांत ने दिल्ली में आईआईटी की तैयारी करवाने वाला एक कोचिंग संस्थान खोला था. तब उसकी उम्र मुश्किल से 20-21 साल रही होगी. हम बढ़ती उम्र के साथ परिपक्व भी तो होते हैं?’ ‘इस आधार पर हमारी कोशिश को खारिज करना बेमानी होगा. हमने पिछले तीन-चार साल में बहुत पढ़ा है. समझा है.’
विक्रांत वत्सल और नवीन विद्रोही का एक परिचय यह भी है कि वे अन्ना हजारे और आम आदमी पार्टी से भी जुड़े रहे हैं. विक्रांत मुज्जफरपुर में आम आदमी पार्टी के संस्थापक के तौर पर भी जाने जाते हैं. हालांकि अखिलेश सरकार का राजनीति में यह पहला अनुभव है.
अखिलेश कहते हैं, ‘हां…विक्रांत और नवीन अन्ना और अरविंद से जुड़े रहे हैं. मैं पहली दफ़ा ऐसी किसी कोशिश का हिस्सा हूं. आईआईटी से निकलने के बाद मैंने उत्तराखंड में कुछ समय के लिए काम किया. मजा नहीं आया तो मौका नाम से गैरसरकारी संस्थान बनाकर अपने इलाके में काम करने लगा.’ जब हमने अखिलेश से उस कंपनी का नाम पूछा जिसके साथ उन्होंने उत्तराखंड में काम किया था तो उन्होंने बताने से इनकार कर दिया. बहुजन आज़ाद पार्टी ने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
बहुजन आजाद पार्टी बनाने की जरूरत क्या थी? इस सवाल के जवाब में अखिलेश कहते हैं, ‘सब अपना-अपना काम कर रहे हैं. जिग्नेश भी और भीम आर्मी वाले रावण भी लेकिन हम आईआईटी से पासआउट लोग हैं. हम इनसे बात करेंगे लेकिन साथ क्यों मिल जाएं? अगर हम चाह जाएंगे तो दुनिया को झुका देंगे. आज हमारे साथ हजार से ज्यादा बुद्धिजीवी देशभर से जुड़ चुके हैं.’
बातचीत के दौरान एक साफ और दूरदृष्टि की कमी तो दिखती ही है साथ ही यह दंभ भी नजर आता है कि हम आईआईटी वाले हैं. चूंकि इस पार्टी का मुख्यालय बिहार में है. तीनों के तीनों संस्थापक बिहार से हैं और इनका निशाना ही अगला बिहार विधानसभा चुनाव है सो हमने बिहार के मुजफ्फरपुर में लंबे वक्त से पत्रकारिता कर रहे संतोष सारंग से बात की. बकौल संतोष इन तीनों की मंशा पर शक करना इनके साथ ज्यादती होगी. नए लड़के हैं. उत्साही हैं. जमीन भी जुड़े हुए हैं लेकिन इनसब से चुनाव कहां जीता जाता है. आए हैं तो इनका स्वागत किया जाना चाहिए. इन्हें भी उन सवालों के जवाब देने जानिए जो इनको लेकर पूछे जा रहे हैं.