केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर विरष्ठ अधिवक्ता इंदू मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है. इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.
पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि, ‘खुश हूं कि इंदू मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगी. निराश हूं कि जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति अभी भी रोकी गई है. केएम जोसेफ की पदोन्नति आखिर क्यों रोकी गई है? क्या इसके लिए उनका राज्य, उनका धर्म या उत्तराखंड केस में उनका फैसला लेना जिम्मेदार है?’ पी चिदंबरम ने लिखा, ‘कानून के मुताबिक, जज नियुक्त में कॉलेजियम की सिफारिश ही अंतिम है. क्या मोदी सरकार कानून से ऊपर हो गई है?’
बता दें, बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश मानते हुए सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा को SC का जज नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है. इंदु सुप्रीम कोर्ट में वकील से सीधे जज बनने वाली पहली महिला होंगी. वहीं, सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति रोके रखने का फैसला किया है. न्यायमूर्ति जोसेफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. कोलेजियम ने फरवरी में अपनी सिफारिश भेजी थी.
क्या है उत्तराखंड केस?
गौरतलब है कि, 21 मार्च 2016 को चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की खंडपीठ ने उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलट दिया था. इसके वजह से हरीश रावत एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन गए थे. जस्टिस जोसेफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था, ‘केंद्र की ओर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित नियम के खिलाफ है।’ इसके साथ ही जस्टिस जोसेफ ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. पी. चिदंबरम इसी केस का जिक्र कर रहे हैं.