ग्रामीण स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए फैमिली फिजिशियन की भूमिका अहम

नई दिल्लीः 15वां विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन ग्रामीण आबाद की स्वास्थ्य जरूरतों को प्राथमिकता पर रखने के लक्ष्य के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस सम्मेलन का परिणाम पाने के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में फैमिली डाॅक्टर की भूमिका पर जोर दिया गया।

एएफपीआई के आॅर्गेनाइजिंग चेयरमैन और राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. रमण कुमार ने कहा, “यदि देशों को वैश्विक स्वास्थ्य स्तर हासिल करना है तो विश्व के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों की जरूरतों को खास तवज्जो मिलना चाहिए। सच्चा वैश्विक स्वास्थ्य तभी हासिल हो पाएगा जब विश्व में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को समान स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएं जो मौजूदा भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, नस्ली और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करता हो। ग्रामीण जनता उसी क्वालिटी की स्वास्थ्य सेवा पाने के हकदार हैं जैसी सेवाएं शहरी आबादी को मुहैया कराई जाती है- सुलभ, किफायती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा जो जनता की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा कर सके।”

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक, ग्रामीण-शहरी आबादी में भेद अमीर देशों से लेकर गरीब से गरीब देशों तक मौजूद है। वैश्विक स्तर पर (174 देश), ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 56 प्रतिशत लोग शहरों और महानगरों के 22 प्रतिशत लोगों की तुलना में स्वास्थ्य कवरेज में नहीं आते हैं। ग्रामीण आबादी के लिए समान स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में लिंग, संस्कृति, उम्र और भौगोलिक समस्याएं बड़े बाधक हैं।

आयोजक सचिव डाॅ. प्रत्युष कुमार कहते हैं, “गांवों में फैमिली डाॅक्टरों की अवधारणा विकसित की जानी चाहिए क्योंकि इससे न सिर्फ मरीजों का वक्त बचता है बल्कि अनचाहे इलाज खर्च से भी वे बच जाते हैं। ग्रामीण नीति लागू होने के बाद आम तौर पर ग्रामीण आबादी को लाभ पहुंचाने में सफल नहीं साबित हुई है। इसके लिए समग्र शोध डाटा की जरूरत होती है और ग्रामीण आबादी की आवाज भी सुनी जानी चाहिए तभी विकासशील नीतियां उनके लिए कारगर हो सकती हैं। सरकार को समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा से लैस स्वास्थ्य प्रणालियां विस्तारित करने के लिए निवेश करना चाहिए। नई और उभरती टेक्नोलाॅजी स्थायी स्वास्थ्य श्रमबल में लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंग और ये ग्रामीण और उपेक्षित समाज की सेहत सुधारने में कारगर होंगी।”

विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन से पीछे किसी को नहीं छोड़ने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रीय सरकार और विशेष एजेंसियों से ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वास्थ्यकर्मियों को प्राथमिकता दिए जाने की अपील की गई है और ऐसी अधोसंरचना बनाने के लिए कहा गया है जिससे असमानता खत्म हो सके।

एएफपीआई, नई दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. अंकित ओम ने कहा कि 90/10 शोध अंतर को पलटने के लिए सख्त कार्यवाही की जरूरत हैः जहां स्वास्थ्य शोध के लिए विश्व के 10 प्रतिशत से भी कम संसाधन निम्न और मध्य आयवर्ग वाले देशों में सभी प्रकार के 90 फीसदी मौतों को बचाए जाने के लिए समर्पित हों। ग्रामीण क्षेत्रों में यह असमानता अधिक है। ग्रामीण डाटा और ग्रामीण शोध का विस्तार जरूरी है ताकि सरकार को नीति निर्णय और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अवगत कराया जा सके।