दुनिया के अजूबों में से एक ताजमहल पर प्रदूषण के प्रभाव को लेकर अक्सर चिंता व्यक्त की जाती है. प्रेम का प्रतीक माने जाने वाले ताजमहल पर प्रदूषण का ख़तरा बढ़ता जा रहा है. इस बार सुप्रीम कोर्ट ने चिंता भी जताई है.भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की लापरवाही से ताज को नुकसान हो रहा है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट फोटो दिखाकर याचिकाकर्ता ने कहा कि पहले ताजमहल का रंग पीला पड़ा और अब यह भूरा और हरा हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने भी विश्व धरोहर के बदलते रंग पर मंगलवार को चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि सफेद रंग का यह स्मारक पहले पीला हो रहा था लेकिन अब यह भूरा और हरा होने लगा है. ताजमहल के पीले होने के पीछे तो एसिड रेन और प्रदूषण जैसे वजह हैं. वहीं ताजमहल का हरा रंग उसके पास यमुना में फैल रहा प्रदूषण है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरणविदों के मुताबिक ताज के पास से गुज़रने वाली प्रदूषित यमुना नदी में पनप रहे कीड़े इस स्मारक में बड़े पैमाने पर घुस रहे हैं. इसके सफेद संगमरमर की दीवारों पर हरे-काले रंग के अवशेष छोड़ रहे हैं चुरोनोमस कैलिग्राफस नाम के कीड़े के कारण ताजमहल हरा हो रहा है. वहीं आगरा स्थित आसपास की फैक्ट्रियों और पास की एक तेल रिफाइनरी के कारण सफ़ेद संगमरमर से बनी इमारत साल दर साल पीली पड़ती जा रही है. पीले रंग को दूर करने के लिए एसआई दीवारों पर ‘मड पैक्स’ यानी मुल्तानी मिट्टी का लेप लगा रहा है. मुल्तानी मिट्टी को पानी में मिलाकर लेप तैयार किया जाता है और फिर इसे दीवारों पर लगाया जाता है. इस लेप को 24 घंटों या उससे अधिक समय के लिए सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि वह पत्थर से सारी गंदगी निकाल ले. ताजमहल को देखने रोजाना लगभग 70 हजार लोग आते हैं. इस स्मारक को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है. बता दें कि याचिकाकर्ता व पर्यावरणविद् एमसी मेहता ने ताज की तस्वीर दिखाते हुए पीठ को बताया कि ताजमल के रंग में बदलाव हो रहा है अगली सुनवाई नौ मई को होगी