कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बदलते रुझानों के बीच कांग्रेस अभी हिम्मत नहीं हारी है. कांग्रेस इस समय रुझानों में बीजेपी के बाद दूसरे नंबर की बड़ी पार्टी बनती दिख रही है. बीजेपी बहुमत से थोड़ा पीछे रहती दिख रही है और कांग्रेस कर्नाटक में कम से कम एक बार सरकार बनाने की कोशिश करना चाहती है.
कर्नाटक में मौजूद कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों देवगौड़ा से कहा है कि उनकी देवगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्वामी दोनों के साथ फोन पर बात हुई है. उन्होंने बताया कि जेडीएस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है. आजाद ने कहा कि जेडीएस सरकार चलाएगी. उन्होंने आगे कहा कि शाम को गवर्नर से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल से कहा जाएगा कि हमारे पास बीजेपी से ज्यादा सीटें हैं.
इससे पहले, मंगलवार दोपहर को सोनिया गांधी ने कर्नाटक में मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को फोन करके कहा कि वह जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा से बात करें. कांग्रेस और जेडीएस मिलकर सरकार बनाने की सूरत में हैं, लेकिन बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आती है तो सरकार बनाने और बहुमत साबित करने का पहला न्योता उसे ही मिल सकता है.
जानकारी के मुताबिक यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से कहा है कि वह तुरंत सिद्धारमैया से बात करें. कांग्रेस की ओर से देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी को सीएम बनाने का प्रस्ताव दिया जा सकता है. हालांकि, कांग्रेस और जेडीएस के बीच में बातचीत देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी की वजह से फेल हो सकती है. हालांकि, जेडीएस की ओर से अभी बीजेपी को ग्रीन सिग्नल नहीं मिला है.
वैसे कहा जा रहा रहा है कि अगर बीजेपी भी सरकार बनाने के आंकड़े से पीछे रह जाती है तो कुमारस्वामी कांग्रेस के बजाए बीजेपी के साथ जा सकते हैं. इसकी वजह केंद्र में बीजेपी का सत्तारूढ़ होना है. बीजेपी के अकेले बहुमत हासिल न कर पाने की सूरत में देखना होगा कि जेडीएस की बातचीत किसके साथ पटरी पर बैठती है.
कांग्रेस ने इस स्थिति को भांपते हुए पहले ही गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत को मतगणना से एक दिन पहले ही कर्नाटक भेज दिया था. हालांकि, कांग्रेस के लिए कर्नाटक में सरकार बनाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि बीजेपी इतनी आसानी से दक्षिण भारत में अपनी वापसी का मौका हाथ से जाने नहीं देगी. कांग्रेस इससे पहले भी बीजेपी से बेहतर स्थिति में होते हुए गोवा और मेघालय में सरकार बनाने का मौका गंवा चुकी है.
गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए 2017 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं और बीजेपी के पास 13 सीटें थीं, लेकिन बीजेपी यहां पर दूसरे दलों के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रही. वहीं, इसी साल हुए 60 सीटों वाले मेघालय में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पास 21 सीटें थीं, लेकिन 20 सीटें लाने वाली एनपीपी ने यूडीपी (6 सीटें), पीडीएफ (4 सीटें), एचएसपीडीपी (2 सीटें) और बीजेपी (2 सीटें) के समर्थन से सरकार बना ली थी.