जब कर बचत के उपायों की बात आती है तो हममें से बहुत सारे लोग सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 तक की कटौती पर ही रुक जाते हैं। लेकिन बहुत सारे ऐसे उपाय भी हैं जिनसे हम अपने करों को कम कर सकते हैं। जब आप दान या चंदा देते हैं तब भी कर बचा सकते हैं, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम देने पर कर बचा सकते हैं, मेडिकल खर्च और शिक्षा कर्ज के भुगतान से अपना कर बचा सकते हैं। ठीक उसी तरह, जैसा कि आप होम लोन पर कर बचाते हैं। आप बैंक और डाकघर में जमा राशि के ब्याज पर भी अदा किए जाने वाला कर भी बचा सकते हैं। एकेजीवीजी एंड एसोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर सीए अमित कुमार गर्ग आपको कुछ ऐसे ही कर बचत उपायों के बारे में बता रहे हैं।
कल्याण दान
सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों और कोषों में किया गया दान आपको आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के तहत कर से छूट दिलाता है। लेकिन कोई वस्तु (कपड़े या बर्तन) दान करने पर आपको इसमें कर छूट नहीं मिलेगी। साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 से (पूर्व में 10,000 रुपये तक) यदि आपने नकद दान किया है तो आपको 2,000 रुपये तक ही छूट मिल सकती है। यदि आपने बड़ी राशि दान करने की योजना बनाई है तो चेक या आॅनलाइन ट्रांसफर से ही यह दान करें।
जब आप सरकार द्वारा संचालित प्रतिष्ठानों में दान करते हैं तो सभी दान कर रियायत दायरे में आते हैं लेकिन ज्यादातर गैर-सरकारी प्रतिष्ठानों में कर छूट सीमा 50 फीसदी तक ही है। यह कर कटौती आपकी कुल शुद्ध आय की 10 फीसदी सीमा तक ही हो सकती है।
स्वास्थ्य बीमा
चिकित्सा की आपात स्थिति का कभी भी सामना करना पड़ सकता है, लिहाजा स्वास्थ्य बीमा जरूर कराएं। धारा 80 डी के तहत आप अपने लिए, पत्नी और आश्रित बच्चों के लिए कराए गए स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर सालाना 25,000 रुपये की छूट पा सकते हैं। यदि कोई वरिष्ठ नागरिक है तो उन्हें यह छूट 30,000 रुपये तक मिल सकती है (वित्त वर्ष 2018-19 से यह राशि बढ़कर 50,000 रुपये हो गई है)। लेकिन यदि आपने नकद में भुगतान नहीं किया है तभी यह कर छूट मिल सकती है। सुरक्षात्मक हेल्थ चेकअप के लिए होने वाले खर्च पर भी आप सालाना 5,000 रुपये तक की छूट पा सकते हैं। यह छूट संपूर्ण सीमा का ही हिस्सा है और नकद में भुगतान करने पर भी यह मान्य है।
चिकित्सा खर्च पर छूट का दावा
यदि आप अपने आश्रित पति या पत्नी, बच्चों, माता-पिता या विकलांग भाई-बहनों के इलाज, प्रशिक्षण और पुनर्वास पर खर्च करते हैं तो आपको धारा 80 डीडी के तहत कर छूट मिलती है। यदि आपने इन आश्रितों के हित के लिए सालाना खर्च या किसी पाॅलिसी पर एकमुश्त भुगतान किया है तब भी आपको यह छूट मिल सकती है।
सालाना कर छूट 75,000 रुपये तक निर्धारित है लेकिन विकलांग पर होने वाले खर्च के बाद यह 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है।
मस्तिष्क संबंधी रोग, कैंसर, एड्स, क्रोनिक किडनी फेल्योर और हीमेटोलाॅजिकल डिसआॅर्डर जैसी खास बीमारियों पर किए जाने खर्च की स्थिति में भी आपको कर छूट मिल सकती है। यदि आपने खुद पर या आश्रित पत्नी, बच्चों या भाई-बहनों की चिकित्सा पर खर्च किया है तो आपको 80 डीडीबी के तहत के तहत कर छूट मिल सकती है। कर छूट आपको वास्तविक खर्च सीमा या 40,000 रुपये (इलाज कराए जाने वाला व्यक्ति यदि वरिष्ठ नागरिक है तो 60,000 रुपये और अति वरिष्ठ नागरिकों के इलाज के मामले में 80,000 रुपये, वित्त वर्ष 2018-19 से दोनों तरह के वरिष्ठ नागरिकों के इलाज के मामले में यह राशि बढ़कर 1 लाख रुपये तक हो गई है) से अधिक मिल सकती है। कर छूट उस स्थिति में कम हो जाएगी जब आपकी बीमा कंपनी या आपके नियोक्त इस इलाज पर खर्च करते हैं।
कर्ज पर ब्याज भुगतान से छूट का दावा
एजुकेशन लोन और होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज के लिए भी आप करछूट पा सकते हैं।
– धारा 80 ई के तहत आप अपने पति या पत्नी, बच्चों या आश्रितों के कानूनी अभिभावक के तौर पर उनके शिक्षा कर्ज पर किए गए ब्याज के भुगतान के लिए छूट पा सकते हैं। यह कर्ज सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोर्स के लिए लिया गया होना चाहिए।
साथ ही यदि कर्ज किसी मान्यता प्राप्त वित्त संस्थानों या मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संस्थान से लिया गया हो तभी आप यह छूट पा सकते हैं। इस तरह के कर्ज के ब्याज पर किए गए भुगतान शुरू करने से लेकर आठ साल तक आप यह छूट पा सकते हैं।
– होम लोन के भुगतान पर आपको दो तरह का कर लाभ मिलता है। धारा 80 सी के तहत सालाना 1.50 लाख रुपये तक मासिक किस्त या पूर्व-भुगतान किए जाने पर मूलधन का भुगतान कर छूट दायरे में आता है।
इसके अलावा मकान खरीदने, निर्माण करने, मरम्मत करने, नवीकृत करने या पुनर्निर्माण करने के लिए कर्ज लेने पर चुकाई गई ब्याज राशि भी धारा 24 (बी) के तहत कर छूट दायरे में आती है। खुद के मकान में रहने पर इसके कर्ज पर ब्याज कटौती की सीमा सालाना 2 लाख रुपये है जबकि किराये पर दिए गए और अन्य मकसद के लिए इस्तेमाल हो रही प्राॅपर्टी के नुकसान की स्थिति में यह सीमा सालाना 2 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती, बकाया भरपाई राशि अगले आठ करनिर्धारण वर्षों तक जुड़ता रह सकता है।
इसके अलावा, होम लोन के ब्याज पर तब तक कर कटौती पा सकते हैं जब तक कि मकान नहीं बन जाता और आपको इसका पजेशन नहीं मिल जाता। हालांकि यह लाभ 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर ही मिल पाता है।
– साथ ही, यदि आपने 50 लाख तक की आवासीय प्राॅपर्टी के लिए 35 लाख रुपये तक का लोन लिया है तो आपको धारा 80ईई के तहत 50 हजार रुपये तक की कर छूट मिल सकती है। इस धारा के तहत यदि कभी आपने ब्याज कटौती का लाभ प्राप्त कर लिया है तो आप किसी भी धारा के तहत यह लाभ पाने के हकदार नहीं होंगे।
ब्याज से आय
यदि आप बैंक, डाकघर या कोआॅपरेटिव सोसायटी में जमा राशि पर ब्याज पा रहे हैं तो आपको इसे अपनी आय में घोषित करना होगा। लेकिन आयकर विभाग आपको इस ब्याज पर धारा 80टीटीए के तहत 10,000 रुपये तक की आयकर छूट पाने की सुविधा देता है। हालांकि फिक्स्ड डिपाॅजिट, आवर्ती जमा, और काॅर्पोरेट बाॅण्ड जैसी अन्य जमाओं पर मिलने वाले ब्याज पर आपको यह लाभ नहीं मिलेगा। वित्त वर्ष 2018-19 से वरिष्ठ नागरिकों को इस पर अधिक छूट देने की घोषणा की गई है। उनकी जमा राशि (फिक्स्ड डिपाॅजिट और बचत खाता जमा समेत) पर मिलने वाले ब्याज के लिए धारा उन्हें 80टीटीबी के तहत 50,000 रुपये तक की कर छूट सुविधा दी गई है। लेकिन इसके साथ वे धारा 80टीटीए के तहत मिलने वाली कर कटौती की सुविधा का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
राजनीतिक चंदा
यदि आप राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं तो यह राशि धारा 80जीजीसी के तहत कर छूट के दायरे में आएगी। लेकिन यह चंदा नकद में नहीं होना चाहिए।
राष्ट्रीय पेंशन योजना
यदि आप राष्ट्रीय पेंशन योजना या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित ऐसी किसी अन्य योजना में भुगतान या बचत करते हैं तो नौकरीपेशा लोगों के वेतन की 10 प्रतिशत राशि और अन्य लोगों के मामले में 20 प्रतिशत जीटीआई की कर छूट धारा 80सीसीडी (1) के तहत मिल सकती है। यदि आपने धारा 80 सीसीडी (1) के तहत राष्ट्रीय पेंशन योजना में जमा की गई राशि पर क्लेम किया है या नहीं किया है तो 80 सीसीडी (1बी) के तहत आपको 50,000 रुपये तक की अतिरिक्त कर छूट का फायदा मिल सकता है।
विकलांग/गंभीर विकलांग व्यक्तियों के लिए
यदि कोई व्यक्ति चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा अपंगता प्रमाण पत्र प्राप्त किया होता है तो उसे धारा 80यू के तहत 75,000 रुपये तक की आयकर छूट मिल सकती है। यदि कोई व्यक्ति गंभीर विकलांगता का शिकार है तो यह छूट बढ़कर 125000 रुपये तक हो सकती है। चिकित्सा प्राधिकरण से प्रमाणित व्यक्ति को यह छूट पाने के लिए आयकर रिटर्न भरते वक्त अपना अपंगता प्रमाण पत्र संलग्न करना होता है।