झारखंड के दशरथ मांझी का नाम आज भी लोगों के जेहन में है जिन्होंने अकेले अपने दम पर पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था, अब ऐसी ही एक अनोखी मिसाल पेश की है बिहार के एक गांव की महिलाओं ने जिन्होंने सरकार की नाकामी के बाद अपने दम पर सड़क बना दिया.
सरकार की ओर से 10 साल में सड़क बनाने में नाकाम होने के बाद बिहार के बांका जिले के एक गांव की महिलाओं ने साहस दिखाया और घर से बाहर निकलकर सरकार को आईना दिखाते हुए सड़क बना डाली.
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार, बांका जिले में दुर्गम गांवों नीमा, जोरारपुर और दुर्गापुर के लोग बड़ी संख्या में मारे जा रहे थे क्योंकि यहां पर सड़क नहीं होने के कारण हादसे या बीमार होने की स्थिति में लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते थे और उनकी मौत हो जाती थी.
टेलीग्राफ ने नीमा गांव की स्थानीय महिला रेखा देवी के हवाले से लिखा है कि खासकर बारिश के सीजन में यह स्थिति और खराब हो जाती थी, ब्लॉक हमारे गांव से महज 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन वहां भी नहीं पहुंच सकते थे. कई मौतें इसलिए हो जाती थी क्योंकि समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते, खासकर गर्भवती महिलाएं.
प्रशासन नहीं कर सका यह काम
इन दुर्गम गांवों में सड़क नहीं होने के बाद स्थानीय प्रशासन ने कुछ साल पहले सड़क बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की कोशिश की थी, लेकिन जमीन मालिकों के भारी विरोध के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया और सड़क बनाने की योजना आगे नहीं बढ़ सकी.
करीब एक दशक के लंबे इंतजार के बाद जब गांव की महिलाओं को लगा कि अब कुछ नहीं होने वाला है तो उन्होंने खुद अपने दम पर इसे अंजाम देने का फैसला लिया. नीमा, जोरारपुर और दुर्गापुर गांवों की करीब 130 घरों ने इसे शुरू करने का जिम्मा उठाया.
3 दिन में 2 किमी सड़क
साहसी ग्रामीणों ने तय किया कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक लगातार काम करेंगे जिससे बारिश शुरू होने से पहले सड़क तैयार हो जाए. ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई और महज 3 दिन के अंदर 2 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी.
ये लोग सड़क निर्माण के लिए स्थानीय जमीन मालिकों से सड़क के लिए जमीन दान कराने पर राजी हो गए और उनकी दान की गई जमीन पर सड़क बना दिया गया.
महिलाओं के साहसिक प्रयास के बाद बांका जिले के जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने दावा किया कि यहां पर जल्द ही ढंग की सड़क बना दी जाएगी.