जम्मू-कश्मीर के बारामूला में पत्रकार शुजात बुखारी के जनाजे में लोगों का सैलाब उमड़ा पड़ा. उनको आखिरी बिदाई देने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग जनाजे में शामिल हुए और आतंकियों को करारा जवाब दिया. शुक्रवार को बुखारी को उनके पैतृक गांव में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.
भारी बारिश के बावजूद बारामूला में हजारों लोग नम आंखों से बुखारी के जनाजे के साथ-साथ चल रहे थे. शुजात बुखारी के जनाजे में भारी संख्या में शामिल होकर घाटी की जनता ने आतंकियों को एक बार फिर दिखा दिया कि वो उनके मंसूबों के पूरी तरह खिलाफ है.
बुखारी के जनाजे में शामिल होने उनके पैतृक गांव आने वालों में विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी तथा भाजपा के मंत्री भी शामिल थे. जनाजे में शिरकत कर रहे लोगों ने बताया कि गांव में इससे पहले कभी किसी ने ऐसा जनाजा नहीं देखा, जिसमें इतनी तादाद में लोग शामिल हुए हों. बड़ी संख्या में यहां लोगों के पहुंचने से यातायात जाम लग गया था.
मालूम हो कि गुरुवार को श्रीनगर में तीन बाइक सवार आतंकियों ने राइजिंग कश्मीर अखबार के संपादक शुजात बुखारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले में बुखारी की सुरक्षा में तैनात दो जवानों की भी मौत हो गई थी. इस हत्याकांड में कश्मीर हॉस्पिटल से फरार आतंकी नावेद जट का हाथ माना जा रहा है. संदिग्धों की तस्वीर में बाइक पर बीच में बैठा आतंकी नावेद जट बताया जा रहा है.
लश्कर आतंकी नावेद जट पिछले दिनों श्रीनगर के अस्पताल से फरार हो गया था. हालांकि पुलिस ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन सीसीटीवी से तीन संदिग्धों की तस्वीर की पहचान कराई जा रही है.
फिलहाल पहचान के लिए स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है. हालांकि, लश्कर ने शुजात बुखारी की हत्या की निंदा की है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि ये आतंकी संगठन की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी और हमलावरों की पहचान की जा रही है. जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से हमलवारों से जुड़ी जानकारी देने के लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए गए हैं.
इसके साथ ही अब पुलिस इस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर हमलावरों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है. पुलिस की ओर से जारी दो तस्वीरों में तीन लोग बाइक पर जाते दिख रहे हैं जिन्होंने अपने चेहरे ढके हुए हैं.
पहले भी बुखारी पर हो चुके हैं जानलेवा हमले
शुजात बुखारी पर इससे पहले भी कई बार जानलेवा हमले हो चुके हैं. जुलाई 1996 में आतंकियों ने उन्हें सात घंटे तक अनंतनाग में बंधक बनाकर रखा था. साल 2000 में जान से मारने की धमकी के बाद बुखारी को पुलिस सुरक्षा दी गई थी. साल 2006 में भी बुखारी पर जानलेवा हमला किया गया था.
एक साल पहले ही पाकिस्तानी आतंकियों से उन्हें धमकी मिली थी. इसके बाद उन्हें एक्स श्रेणी की सुरक्षा मिली थी, जिसमें उनके साथ दो सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे. शुजात बुखारी भारत-पाक शांति वार्ता और कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए लगातार सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे.
इसके साथ ही उनके अखबार राइजिंग कश्मीर को घाटी की आवाज कहा जाता है. जान के खतरे के बावजूद वो हमेशा कहा करते थे कि बंदूक का डर दिखाकर उनकी कलम को शांत नहीं कराया जा सकता.