उत्तर प्रदेश में “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान का असर दिखाई देने लगा है. पूरे प्रदेश में प्रति हजार बेटों पर 5 बेटियों में इजाफा हुआ है, हालांकि अब भी यह आंकड़ा चिंताजनक बना हुआ है.
उत्तर प्रदेश में 2016-17 में प्रति हजार बेटों पर 906 बेटियां जन्म लेती थीं, जो इस साल 2017-18 में बढ़कर 911 हो गई है. यह बात सरकार के मातृ स्वास्थ्य एवं शिशु योजना के सर्वे में सामने आई है.
कहीं दिखा “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का असर तो कहीं बेअसर
प्रधानमंत्री मोदी की मुहिम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का असर यूपी में कहीं अच्छा दिख रहा है तो कहीं अब भी बेअसर है. लखनऊ में बेटे बेटियों की जन्म दर के औसत में हुआ सुधार तो कानपुर, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर में हालात बदतर हुए हैं. लखनऊ में इस साल प्रति हजार 11 बेटियों के जन्म दर में बढ़ोतरी हुई है. 2016-17 में प्रति हजार बेटों पर 892 बेटियां हुई थीं, जो इस साल बढ़कर 903 हो गई है.
सिर्फ लखनऊ ही नहीं पूरे प्रदेश में प्रति हजार 5 बेटियां बढ़ी हैं, जो अच्छे भविष्य की उम्मीद जगाती है. लखनऊ के अलावा मऊ, मैनपुरी, बिजनौर, उन्नाव और बलरामपुर में भी प्रति हजार लड़कियों की संख्या में इजाफा हुआ है. अभी भी कई जिले बुरे हाल में हैं. रायबरेली, फैजाबाद, गाजियाबाद, चित्रकूट, हापुड़ समेत तकरीबन 27 जिले ऐसे हैं जहां प्रति हजार लड़कियों की संख्या घटी है.
उत्तर प्रदेश में 2016-17 में कुल 36 लाख 62 हजार से ज्यादा बच्चों ने जन्म लिया था. जिसमें से 19 लाख, 21 हजार से ज्यादा लड़के थे और 17 लाख 41 हजार से ज्यादा लड़कियां, लेकिन इस साल अब तक 35 लाख से ज्यादा बच्चों का जन्म हो चुका है. जिसमें 18 लाख 69 हजार से अधिक लड़के हैं और 17 लाख 3 हजार से अधिक लड़कियां हैं.
लखनऊ में प्रति हजार बेटियों के जन्म दर में मामूली सुधार हुआ है तो वहीं अलीगढ़ और कानपुर में भारी कमी दर्ज की गई है.