आज ही के दिन 1975 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते देश में आपातकाल लागू किया गया था. बीजेपी जहां इस दिन को ‘ब्लैक डे’ के रूप में मना रही है, वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से की है.
वित्त मंत्री ने इस मसले पर कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने लिखा कि आपातकाल के दौरान देश में डर और खौफ का माहौल था. आरएसएस और विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता उसका विरोध कर रहे थे और लगातार सत्याग्रह किया जा रहा था.
अरुण जेटली ने लिखा कि इंदिरा गांधी ने मूलभूत अधिकारों का हनन करते हुए आपातकाल लागू किया. उन्होंने इंदिरा गांधी के उस कदम की तुलना जर्मनी के शासक अडोल्फ हिटलर से की. जेटली ने लिखा कि हिटलर और श्रीमती गांधी दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का उपयोग किया.
जेटली ने हिटलर की दमनकारी नीतियों का उल्लेख करते हुए लिखा कि हिटलर ने अधिकांश विपक्षी संसद सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया और अपनी अल्पमत वाली सरकार को संसद में 2/3 बहुमत सरकार में परिवर्तित कर दिया.
जेटली ने लिखा, ‘आपातकाल से सबक मिलता है कि अगर आप बोलने की आजादी पर पाबंदी लगाते हैं और सिर्फ दुष्प्रचार को अनुमति देते हैं तो आप उस प्रोपेगेंडा का सबसे पहले शिकार होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि आपको अपना प्रोपेगेंडा ही पूरी तरह सच नजर आता है.’
अरुण जेटली ने आपातकाल के दौरान संजय गांधी के पाचं सूत्रीय कार्यक्रम का हिस्सा रहे नसबंदी पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जो आम आदमी तानाशाही के राजनीतिक प्रभाव नहीं समझ पाया, वह जबरदस्ती नसबंदी के चलते उसे समझ गया. इसी के संबंध में जेटली ने दो पंक्तियां लिखीं, ‘दाद देता हूं मैं मर्द-ए-हिंदुस्तान की, सर कटा सकते हैं लेकिन नस कटा सकते नहीं.’
25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई, जो 21 मार्च 1977 तक जारी रहा. उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी.