कर्नाटक में भले ही कांग्रेस के समर्थन से जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन गए हो लेकिन लगता है कि सरकार में कुछ ठीक नहीं है. पहले कुमारस्वामी कह चुके हैं कि वह कांग्रेस की दया से मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन अब उनका कहना है कि वह किसी की कृपा पर मुख्यमंत्री नहीं बने हैं ऐसा नहीं है कि किसी ने उन्हें सीएम की कुर्सी दान में दी हो.
दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है जिसमें पूर्व सीएम सिद्धारमैया एक बैठक कर रहे हैं. इसमें सिद्धारमैया कह रहे हैं कि जब ये सरकार बजट तैयार कर लेगी तो राहुल गांधी के पास परमिशन लेने के लिए जाएगी. जिसके बाद से ही कुमारस्वामी का ये बयान सामने आया है.
वीडियो में बताया जा रहा है कि सिद्धारमैया कह रहे हैं कि जो बजट उन्होंने पेश किया था, वही आगे बढ़ाया जाएगा. वहीं सिद्धारमैया को लग रहा है कि अगर नया बजट पेश किया जाता है तो पूरी तरह से फोकस JDs की तरफ शिफ्ट हो जाएगा. हालांकि, कुमारस्वामी का कहना है कि जब कई विधायक नए चुनकर आए हैं तो बजट भी नया बनना चाहिए.
मंत्री बोले- नहीं है कोई भेदभाव
इस बीच कर्नाटक सरकार में मंत्री UT खाडेर का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच कोई भेदभाव नहीं है. सिद्धारमैया कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख हैं उन्होंने अपनी बात रखी है. लेकिन कुमारस्वामी सरकार के प्रमुख हैं, मुझे लगता है कि जल्द ही बजट पेश किया जाएगा.
शाह से मिले येदियुरप्पा
एक ओर जहां कांग्रेस-जेडीएस में खींचतान चल रही है दूसरी तरफ बी.एस. येदियुरप्पा ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की. येदियुरप्पा शाह से मुलाकात करने के लिए अहमदाबाद पहुंचे. कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा अभी भी राज्य में सरकार बनाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. हालांकि, बैठक में 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई.
आपको बता दें कि इससे पहले कुमारस्वामी ने कहा था कि उनकी पार्टी जेडीएस ने विधानसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक की जनता से पूर्ण जनादेश मांगा था, जो नहीं मिला. इस वजह से आज वह कांग्रेस की कृपा पर मुख्यमंत्री बने हैं.
कुमारस्वामी ने कहा, ‘मेरी पार्टी ने अकेले सरकार नहीं बनायी है. मैंने लोगों से ऐसा जनादेश मांगा था कि मुझे उनके अलावा किसी और के दबाव में नहीं आने दे. लेकिन मैं आज कांग्रेस की कृपा पर हूं. मैं राज्य के साढ़े छह करोड़ लोगों के दबाव में नहीं हूं.’
गौरतलब है कि इससे पहले भी कांग्रेस और जेडीएस के बीच मंत्रियों की संख्या, विभागों के बंटवारे को लेकर अनबन चल रही थी. काफी समय की माथापच्ची के बाद दोनों पार्टियां विभागों के बंटवारे पर सहमत हुई थी.