वित्त मंत्री को लिखा पत्र, GST रिवर्स चार्ज खत्म करने की मांग

चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के व्यापारियों ने जीएसटी पर रिवर्स चार्ज खत्म करने की मांग को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा है. सीटीआई ने बताया कि कारोबारियों को जीएसटी रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) का डर सता रहा है. इसकी वजह से रजिस्टर्ड डीलरों ने अनरजिस्टर्ड डीलरों के साथ व्यापार करना रोक दिया है.

सीटीआई के संयोजक बृजेश गोयल का कहना है कि मोदी सरकार 1 जुलाई को जीएसटी की पहली वर्षगांठ को उत्सव की तरह मनाने की तैयारी में है. वहीं सरकार की ओर से आरसीएम पर दी गई छूट की समय सीमा 30 जून को समाप्त हो रही है. लेकिन 1 जुलाई से दोबारा आरसीएम लागू होने पर छोटे व्यापारियों के लिए खानापूर्ती का काम ज्यादा बढ़ जाएगा, जो तकनीकी तौर पर ज्यादा मजबूत नहीं है.

चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म खत्म करने को लेकर एक पत्र लिखा है. पत्र में बताया गया है कि पिछले साल जब जीएसटी लागू हुआ था तब ज्यादा टैक्स रेट्स, रिटर्न फाइल करने में आ रही दिक्कतें और रिवर्स चार्ज  को लेकर सबसे ज्यादा नाराजगी जताई गई थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने तीनों ही मुद्दों पर विचार विमर्श कर देश के व्यापारियों को तीनों ही स्तर पर अपनी तरह से राहत दी थी.

सीटीआई के संयोजक बृजेश गोयल ने बताया कि  रिवर्स चार्ज पर पहले भी अापत्त‍ि दर्ज की जा चुकी है. इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने  पहले लागू रिवर्स चार्ज को 13 अक्टूबर 2017 को जारी एक आदेश के जरिये  31 मार्च 2018 तक के लिए खत्म कर दिया था. इसके बाद दूसरा आदेश जारी करते हुए इस सस्पेंशन को 30 जून 2018 तक के लिए बढ़ा दिया गया.

अब 30 जून नजदीक है और अभी तक सरकार की ओर से किसी तरह का कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया है. इसकी वजह से व्यापारियों को आशंका है कि 1 जुलाई से रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म लागू हो जाएगा. इस वजह से कारोबारियों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

क्या है आरसीएम 9(4)

चेंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के मुताबिक जब कोई रजिस्टर्ड डीलर किसी अनरजिस्टर्ड डीलर से माल खरीदता है या सेवा लेता है, तो उस लेन-देन पर रजिस्टर्ड डीलर को रिवर्स चार्ज का जीएसटी वाला इनवॉइस बनाना होता है. उसका जीएसटी भी जमा कराना होता है. इसके बाद जमा किए हुए जीएसटी का क्रेडिट फॉर्म 3बी को रिटर्न के माध्यम से लिया जाता है. इस प्रक्रिया में टैक्स पेयर ने जो जीएसटी भरा होता है, वह उसे वापस मिल जाता है लेकिन उसे एक प्रक्रिया से गुजरना होता है.