राजधानी दिल्ली में चुनी हुई सरकार और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उपराज्यपाल के बीच आखिर किसकी चलेगी इस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कई तल्ख टिप्पणियां कीं. SC की ओर से कहा गया कि उपराज्यपाल बिना कैबिनेट की सलाह के कोई फैसला नहीं ले सकते हैं, दिल्ली सरकार ही असली बॉस है.
इस फैसले को केजरीवाल एंड पार्टी अपनी जीत बता रहे हैं तो बीजेपी ने भी इसे अपने हक में ही बताया है. लेकिन अभी भी ये सवाल रह गया है कि क्या सच में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पिछले तीन साल से अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच चल रही जंग खत्म होगी या नहीं. क्योंकि अभी भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिसमें दोनों आमने-सामने आ सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, इसके लिए उन्हें कैबिनेट की सलाह लेनी होगी. हालांकि, इस बात पर सवाल उठता है कि पिछले तीन साल से जारी तल्खी के बाद क्या उपराज्यपाल हर फैसले पर उनकी सलाह मांगेंगे. क्योंकि कोर्ट का ही फैसला कहता है कि सहमति ना होने पर वह फाइल राष्ट्रपति को बढ़ा सकते हैं. राष्ट्रपति भी गृहमंत्रालय की सलाह पर ही कोई फैसला लेता है. ऐसे में अगर कोई फैसला केजरीवाल सरकार के विरोध में जाता है, तो क्या वह उन्हें मानेंगे.
2. अभी भी पुलिस केंद्र के पास
दिल्ली पुलिस अभी भी गृह मंत्रालय के अंतर्गत रहेगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दिल्ली को पूर्ण राज्य को दर्जा देना आसान नहीं है. दिल्ली पुलिस की ओर से जिस प्रकार आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ लगातार पिछले कुछ समय में एक्शन हुआ है, इस पर केजरीवाल ने जमकर विरोध किया है. सवाल ये होता है कि पुलिस अगर भविष्य में कोई बड़ा एक्शन लेती है तो क्या केजरीवाल फिर इसे केंद्र सरकार का उनके काम में अड़ंगा नहीं बताएंगे.आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को जोरशोर से उठाया गया है. लेकिन कोर्ट ने कहा है कि ये अभी भी मुमकिन नहीं है. मनीष सिसोदिया अभी भी कह रहे हैं कि हम पुलिस, जमीन, पब्लिक ऑर्डर को दिल्ली सरकार के अंतर्गत लाना चाहते हैं इसलिए अपना आंदोलन जारी रखेंगे. ऐसे में सरकार और एलजी के बीच इसको लेकर टकराव देखने को मिल सकता है. क्योंकि अगर दिल्ली सरकार की ओर से किसी भी जमीन पर स्कूल, अस्पताल या अन्य किसी निर्माण के लिए जमीन की जरूरत होगी तो उन्हें एलजी के पास ही जाना होगा.
4. अधिकारियों पर अभी भी दिखेगी लड़ाई
केंद्र शासित प्रदेश और राजधानी होने के कारण दिल्ली में राज्य के अलावा केंद्र के भी कई अधिकारी मौजूद हैं. जिनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र और राज्य के बीच बहस होती रहती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार को अपने अधिकारियों पर फैसला करने की तो आजादी दी है, लेकिन अन्य अधिकारियों को लेकर छूट नहीं मिली है. इनमें ACB पर सबसे बड़ी रार है, क्योंकि अभी भी ACB दिल्ली पुलिस के अतंर्गत ही है.
5. MCD पर छिड़ सकती है रार
दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों की वेतन को लेकर की गई हड़ताल कई बार दिल्ली वालों के लिए मुसीबत का सबब बनी है. इस दौरान शहर में जगह-जगह कूड़े का ढेर देखने को मिला है. एमसीडी अभी भी पूरी तरह से बीजेपी के पास है, जो दोनों के बीच लड़ाई छिड़ सकती है. ना सिर्फ सफाई बल्कि पानी की सप्लाई को लेकर भी सरकार और एमसीडी आमने-सामने रही है.