गुमनामी के अँधेरे में रहने वाला कोच देश का सितारा बना – कृपा शंकर

इंदौर ( मध्य प्रदेश ) – कामयाबी किसे अच्छी नहीं लगती, लेकिन जब पता चले कि उस कामयाबी की कहानी कई अड़चनों, बेरोजगारी, तमाम मुश्किलों और लोगों के भरोसे के टूट जाने के बाद लिखी गई हो तो बात ही क्या, एशियन गेम्स 2018 में विपरीत हालातों का रुख मोड़ते हुए अपने हौसले से ऐसी ही कामयाबी की उड़ान भरी है भारतीय महिला कुश्ती टीम व जम्मू कश्मीर के कुश्ती कोच साहिल शर्मा ने | ये नाम कल तक गुमनामी के अंधेरे में था लेकिन आज देश का सितारा कोच बन चुका है | यह बात दंगल फिल्म के लिए सुपर स्टार आमिर खान और अन्य कलाकारों को कुश्ती सिखाने वाले इन्दौर के अर्जुन अवार्डी पहलवान कृपाशंकर बिश्नोई ने कही | वह आज यहाँ  देपालपुर अखाड़े में आयोजित हॉकी के जादूगर के रूप में विख्यात मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के अवसर पर पहलवानों को सम्बोधित करते हुए बोल रहे थे |

उन्होंने कहा साहिल शर्मा ने 18वें एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जितने वाली भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट और कांस्य पदक धारी दिव्या काकरान को प्रशिक्षण दिया है | इनकी ट्रेनिंग की बदौलत ही एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर विनेश ने इतिहास रचा है और वह एशियन खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई | मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा क्या आप को पता है ? इतनी कामयाबी के बाद भी कुश्ती कोच साहिल शर्मा बेरोजगार है | कृपाशंकर ने कहा सरकार खेलों को बढ़ावा तो दे रही है लेकिन इसका लाभ सभी को नहीं मिल रहा है । जो प्रशिक्षक खिलाड़ीयों को मेडल जिताने में मदद करते है, यदि सरकार खेल सुविधाओं के साथ साथ प्रारंभ से ही प्रशिक्षको को भी जॉब देकर प्रोत्साहित करे तो अधिक से अधिक खिलाडियों को उनकी ट्रेनिंग का लाभ मिल सकेगा । इससे युवाओं और खिलाडियों का विश्वास भी सरकार और प्रशासन के प्रति बढ़ेगा ।

इतना ही नहीं कृपाशंकर ने कहा कुश्ती में चोट लगने और कुश्ती से सन्यास लेने के बाद कोचिंग डिप्लोमा करने वाले साहिल शर्मा अपने भविष्य को लेकर संशय में  है | नौकरी को लेकर उन्हें कई बार सांसदों और विधायकों और सरकार से भी संपर्क किया इस दौरान उन्हें आश्वासन तो काफी मिले पर नौकरी नहीं । अब उनकी शिष्या द्वारा 18वें एशियाई खेलों में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जितने के बाद उन्होंने एक बार फिर जम्मू की राज्य सरकार से इस मामले में संपर्क किया है । यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई मामले ऐसे आये हैं पर अभी तक सरकार की कोई ठोस नीति सामने नहीं आई हैं, ऐसे में खेल को पौत्साहन देने की बात खोखला दावा ही नजर आती है ।