Vijayan should hold back his barbarism in Sabarimala, otherwise there will be nationwide movement: VHP
New Delhi, November 20, 2018: The Chief Minister of Kerala Mr. Vijayan is working like Adil Shah and Aurangzeb, said the Vishva Hindu Parishad here today. The International Joint General Secretary of VHP, Dr Surendra Jain said that by crushing the Hindu Astha (faith) and traditions, the Chief Minister is trying to turn Kerala into a Hindu-free state like Kashmir. On Shabrimala issue, his behavior has become like a ruthless dictator. He has been repeatedly torturing Hindus under the pretext of the Supreme Court decision. In the name of preserving the rights of women, he is abusing the women themselves very cruelly.
Dr. Jain said that because of making the Shabarimala campus a center of cruelty, the Kerala High Court was compelled to make the comment that the Chief Minister of Kerala wants to turn Kerala into a battlefield. The way even the chanting of God’s name has become a crime in Kerala, it has started disturbing Hindus quite a lot. The Vijayan Government has made the pilgrim resting/standing and lounging places muddy by pouring water on the sites. Nobody is being allowed to stay after the Yatra After such a long climb, the government should have made proper arrangements for the devotees to rest, but in the name of arrangements, infrastructure and logistics, the communist government is only doing disorder and creating chaos there. Buses carrying passengers are being threatened so that passenger vehicles cannot go there. There is neither potable water available nor adequate lavatory arrangements. Due to this, women devotees are facing more problems. The Nayaa Abhishekam anointment that takes place only early in the morning is the auspicious occasion in which every Ayyappa devotee makes it a point to attend and witness. For this, they have to wait and stay overnight.
He said that the kind of oppression done on Ayyappa devotees there on 18 November night is extremely rare in independent Bharat. Hundreds of Ayyappa devotees were arrested and let alone provision of drinking water and food for them, they were even deprived of lavatory facilities and were treated like terrorists and sent to judicial custody for 10 days.The way the police kicked the devotees with boots and lifted and threw away the women, it seemed that the said holy place of Hindu society was not a part of independent Bharat but had become Aurangzeb’s empire.
The VHP asked why Section 144 is being imposed? Was there any possibility of any kind of riot there? The entire country wants to know from them as to what kind of threat to law and order was present there? They must clarify this! The Vishva Hindu Parishad while condemning the abuses of the Kerala Government, cautions that its dictatorial behavior is acceptable neither to the Hindus of Kerala nor to one and all Ayyappa devotees spread across the world. Some people are calling this fight the fight of Astha (faith) against the constitution, while in actuality it is the struggle to preserve the original spirit of the Constitution. The Constitution allows Puja-Paath according to respective Dharmic beliefs, ethos and traditions. The law can interfere only if people of other religions or other devotees are hurt due to it. Here none of the gate-crashing activists is an Ayyappa devotee, but an anarchistist who has always been trying to crush the Hindu beliefs certitudes. The whole of the Kerala government, for the purpose of forcibly infiltrating chaotic elements into the temple, is employing all its strength against the basic spirit of the Constitution.
It was said in a section of the pro-Ayyappa media that the prayer of the Devaswom Board in the Supreme Court asking some more time to implement the SC order, was a U-Turn, whereas the reality is not that simplistic as they want to torture the Ayyappa devotees into submission, they want to overtake them and crush their hopes. So far this movement is limited only to Kerala. If the State Government remains this dictatorial and dogmatic, then the Vishva Hindu Parishad would consider making it a national movement.
It is the prayer of the Vishva Hindu Parishad to the Honorable Judges that by getting the date of January 22, the Vijayan government has got another opportunity to indulge in barbarism, which is not appropriate. We urge to hasten the decision by hearing the matter quickly, so that the message would go to the citizens of the country that the judiciary also listens to and is concerned about the rights of the devotees also and entertains not the anarchists.
Issued by:
Vinod Bansal
प्रेस वक्तव्य :
सबरीमाला में बर्बरता से बाज आएं विजयन अन्यथा देशव्यापी आन्दोलन : विहिप
नई दिल्ली. नबम्बर 20, 2018. विश्व हिन्दू परिषद् ने आज कहा है कि केरल के मुख्यमंत्री विजयन आदिल शाह व औरंगजेब की तरह काम कर रहे हैं. विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा सुरेन्द्र जैन ने कहा है हिंदू आस्थाओं को कुचल कर मुख्यमंत्री विजयन केरल को कश्मीर की तरह हिंदू विहीन करना चाहते हैं. शबरीमाला के मामले में उनका व्यवहार एक निर्मम तानाशाह की तरह बन चुका है. वे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आड़ में हिंदुओं पर बार-बार क्रूर अत्याचार कर रहे हैं. महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण के नाम पर वे महिलाओं के साथ ही बेहद क्रूरता के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं.
डा जैन ने कहा कि शबरीमाला परिसर को क्रूरता का केंद्र बनाने के कारण ही केरल हाईकोर्ट ने मजबूर होकर यह टिप्पणी की कि वहां के मुख्यमंत्री केरल को एक युद्ध क्षेत्र बना देना चाहते हैं. जिस तरह से वहां पर नामजप भी अपराध बन गया है, वह हिंदुओं को काफी परेशान करने लगा है. उन्होंने यात्रियों के ठहरने की जगह पर पानी डालकर कीचड़ कर दी है. किसी को भी यात्रा के बाद रुकने नहीं दिया जा रहा. इतनी लंबी चढ़ाई के बाद सरकार को भक्तों के विश्राम की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी लेकिन व्यवस्था के नाम पर वह वहां अव्यवस्था ही कर रहे हैं. यात्रियों को ले जाने वाली बसों को धमकी दी जा रही है जिससे यात्री वाहन ना जा सके. न पेयजल उपलब्ध है और न ही शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था है. इसके कारण से महिला भक्तों को विशेष परेशानी हो रही है. नय्या अभिषेकम जो प्रातः काल ही होता है प्रत्येक अय्यप्पा भक्त इस अभिषेकम में अवश्य उपस्थित होता है. इसके लिए उन्हें रात्रि को रुकना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि 18 नवंबर की रात को वहां अय्यप्पा भक्तों पर जिस प्रकार अत्याचार किए गए वे स्वतंत्र भारत में बहुत दुर्लभ हैं. सैकड़ों अय्यप्पा भक्तों को गिरफ्तार किया गया उनको पीने का पानी और भोजन की बात तो दूर शौचालय तक की सुविधाओं से बंचित कर उनके साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया गया और 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. जिस प्रकार पुलिस ने भक्तों को जूतों से ठोकरें मारी और महिलाओं को उठा कर फेंका गया. ऐसा लगता था कि हिन्दू समाज का यह पवित्र स्थान स्वतंत्र भारत का हिस्सा नहीं अपितु एक औरंगजेब का साम्राज्य बन गया है.
विहिप ने पूछा कि धारा 144 क्यों लगाई जा रही है? क्या वहां किसी प्रकार के दंगे की संभावना थी? यह पूरा देश उनसे जानना चाहता है कि कानून व्यवस्था को कैसा खतरा उपस्थित हो गया था वहां? यह उन्हें अवश्य बताना चाहिए. विश्व हिंदू परिषद केरल सरकार के दुर्व्यवहार की घोर निंदा करते हुए आगाह करती है कि उनका यह तानाशाही पूर्ण व्यवहार केरल के हिंदू ही नहीं संपूर्ण विश्व में फैले हुए अय्यप्पा भक्त स्वीकार नहीं करेंगे. कुछ लोग इस लड़ाई को संविधान विरुद्ध आस्था की लड़ाई का नाम दे रहे हैं जबकि वास्तव में यह संविधान की मूल भावना की रक्षा करने का ही संघर्ष है. संविधान अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा पाठ करने की अनुमति देता है. कानून तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब किसी भी अन्य धर्म के लोगों को या अन्य भक्तों को इससे कष्ट हो रहा हो. यहां जबरदस्ती घुसने वालों में कोई अय्यप्पा भक्त नहीं है बल्कि अराजकतावादी तत्व हैं जो हिंदू आस्थाओं को हमेशा से कुचलते रहे हैं. पूरी केरल सरकार मुट्ठी भर अराजक तत्वों को मंदिर में जबरन प्रवेश कराने के लिए न्याय और संविधान की मूल भावना के विपरीत, अपनी सारी ताकत का लगा रही है.
अय्यप्पा भक्त मीडिया के एक वर्ग में यह कहा गया देवस्वम बोर्ड द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में कुछ समय की मांग करना उनका यू टर्न है जबकि वास्तविकता ऐसी नहीं है वे अय्यप्पा भक्तों पर अत्याचार करके उनको झुकाना चाहते हैं उनकी आशाओं को कुचलना चाहते हैं अभी तक यह आंदोलन केवल केरल तक सीमित है किन्तु, यदि राज्य सरकार की यही हठधर्मिता रही तो विश्व हिंदू परिषद इसको राष्ट्रीय आंदोलन बनाने पर भी विचार कर सकता है.
विश्व हिंदू परिषद की माननीय न्यायाधीशों से भी प्रार्थना है 22 जनवरी की तारीख देकर विजयन को अपनी बर्बरता करने का एक और अवसर मिल गया है जो उचित नहीं है. हमारा आग्रह है कि मामले की जल्द सुनवाई कर अपना निर्णय शीघ्र दें जिससे देश के नागरिकों में यह संदेश जाए की अराजक तत्वों की नहीं भक्तों के अधिकारों की भी चिंता न्यायपालिका करती है.
जारी कर्ता :
विनोद बंसल