से.नि. शिक्षा अधिकारियों ने मनाया अमृत महोत्सव एवं नववर्ष अभिनन्दन समारोह
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प्रेस-विज्ञप्ति
(से.नि. शिक्षा अधिकारियों ने मनाया अमृत महोत्सव एवं नववर्ष अभिनन्दन समारोह)
सकारात्मक सोच जीवन को आनन्दमय बनाती है- हाजी सरदार अली परिहार
(विवेक मित्तल) बीकानेर 6 जनवरी, 2019। समय कभी नहीं रूकता, चला गया वह वर्ष पुरातन। देखो ज्योर्तिमय नील गगन पर, हुआ नववर्ष का आगमन। अधिकांश से.नि. शिक्षा अधिकारी 70 से अधिक बसन्त अपने जीवन के देख चुके हैं लेकिन जीवन के प्रति उनका नजरिया हम सभी के लिए अनुकरणीय है, शिक्षा देने वाला है। जीवन के प्रत्येक पल का सकारात्मक सोच के साथ आनन्द लेना चाहिए यह सीख मिली इस अनूठे कार्यक्रम में। सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी समिति द्वारा शिव मन्दिर प्रन्यास भवन के सभागार में अमृत महोत्सव एवं नववर्ष अभिनन्दन समारोह जोश, जुनुन, हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती प्रभा पारीक द्वारा ‘जय-जय हे भगवती सुर भारती चरणों में प्रणाम’ वन्दना तथा अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। इस समारोह के विशिष्ठ अतिथि डा. धुरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष फसल सुधार विभाग, केन्द्रीय शुष्क बागवानी अनुसंधान संस्थान, बीकानेर थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता हाजी सरदार अली परिहार, से.नि. जिला शिक्षा अधिकारी शा.शि., निदेशालय बीकानेर ने की। समिति के अध्यक्ष सुरेश कुमार मित्तल ने बताया कि समारोह में समिति के 75 वर्ष आयु प्राप्त करने वाले सदस्यों श्री रियाज अहमद एवं श्रीमती कोमल सोनी का माल्यार्पण कर, शॉल ओढ़ा कर, श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह प्रदान करके अमृतत्व सम्मान से सम्मानित किया गया। समिति का प्रतिवेदन सचिव रामकिशोर शर्मा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर समिति के मासिक पत्र ‘संवाद’ तथा श्रीमती शशिबाला मित्तल स्मृति चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा जारी ‘मैं बेटी हूँ’ कलैण्डर का वितरण भी किया गया। अपनी अध्यक्षीय उद्बोधन में सरदार अली परिहार ने कहा कि हमारी सोच में ही हमारा सुख-दुःख छिपा हुआ है। सकारात्मक सोच हमारे जीवन को आनन्दमय बनाती है, हमें निरन्तर प्रगतिशील रहना है, चलने से ही जीवन मिलता है। उन्होंने ‘चलता चल तु चलता चल, सुख का जीवन जीता चल, बाधाओं से डर कर साथी तु कदम रोकना मत’ प्रेरक कविता सुना कर सबको सकारात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। विशिष्ट अतिथि डा. धुरेन्द्र सिंह ने नववर्ष की शुभकामना देते हुए कृषि के क्षेत्र में आ रहे परिवर्तनों तथा अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए कहाकि विद्यार्थी के जीवन में गुरुजनों का स्थान महत्वपूर्ण है। विद्यार्थी जीवन में अनेक बाधाएँ गुरुजनों के बताये गये सद्विचारों को अपना कर दूर कर सकते हैं। ओमप्रकाश सारस्वत ने ‘जीवन अभी शेष है’ कविता सुनाई। इससे पूर्व समिति के संरक्षक शिवनामसिंह ने सीमिति तथा कार्यक्रम अध्यक्ष का परिचय तथा समिति अध्यक्ष सुरेश कुमार मित्तल ने विशिष्ट अतिथि का परिचय पढ़ा। समिति के नये सदस्यों ने अपने अनुभवों को सबके साथ साझा किया। राधेश्याम तनेजा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’, राजेन्द्र कुमार गर्ग, हरिसिंह अधाना, श्रीमती कलावती आर्य, राजकुमार मिश्रा, घनश्याम सिंह, नरेन्द्र सिंह भुई, त्रिलोचन लाल तनेजा, जानकी नारायण श्रीमाली, डा. विजय शंकर आचार्य, कैलाश सिंह उज्जवल सहित अनेक शिक्षाविद् उपस्थित थे। कार्यक्रम का जीवन्त संचालन मोहनलाल जांगिड़ ने किया। कार्यक्रम का समापन स्वरूचि भोज के साथ हुआ।
विवेक मित्तल