Action ordered against illegal operation of the sealed pickling units in Wazirpur

binod Takiawala

वजीरपुर में सील्‍ड पिकलिंग यूनिट्स के अवैध परिचालन के खिलाफ कार्रवाई का आदेश

इन यूनिट्स को एनजीटी के आदेश पर दिसंबर 2018 में सील किया गया था

ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन की टीम ने पाया कि इन इकाइयों में रात के समय काम जारी है

नई दिल्ली, 16 जनवरी 2019: सब डिविजनल मजिस्‍ट्रेट, सरस्‍वती विहार, दिल्‍ली सरकार ने दिल्‍ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में सील की गई पिकलिंग यूनिट्स द्वारा किये जा रहे अवैध कामकाज की जांच करने और कार्रवाई करने का आदेश दिया है। दिल्‍ली सरकार ने एनजीटी के आदेश पर 8 व 9 दिसंबर को कुल 75 पिकलिंग इंडस्‍ट्री यूनिट्स को सील किया था।

ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन की टीम ने पाया कि वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र की जांच के दौरान सील्‍ड स्‍टील पिकलिंग यूनिट्स नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (एनजीटी) और भारत की माननीय सर्वोच्‍च अदालत के आदेशों का खुला उल्‍लंघन करते हुये काम कर रही थीं, इसके बाद संगठन ने प्रशासन के पास शिकायत दर्ज कराई। उन्‍होंने यह भी पाया कि अधिकांश इकाइयों ने सीलिंग मुहिम के दौरान दिल्लीसरकार के अधिकारियों द्वारा काटी गई बिजली और पानी की लाइनों को अवैध रूप से बहाल कर लिया है। इस तरह पानी-बिजली की चोरी जारी है।

 

ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन के अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने कहा, “सरकार को एनजीटी के आदेश का खुल्‍लमखुल्‍ला उल्‍लंघन करने से रोकने और इन अवैध इकाईयों का परिचालन फौरन बंद करने के लिए अवश्‍य कार्रवाई करनी चाहिये। इन इकाईयों का अवैध परिचालन न सिर्फ अदालत के आदेश का उल्‍लंघन है बल्कि यह पर्यावरण एवं आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी गंभीर खतरा है।”

दिल्‍ली सरकार ने 11 दिसंबर 2018 को एनजीटी में कॉम्‍प्‍लाएंस रिपोर्ट जमा कराई थी जिसमें पिकलिंग यूनिट्स को बंद करने की बात कही गई थी। इस मामले पर 16 अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान, एनजीटी ने अपने विशेष निर्देशों के बावजूद प्रदूषण फैलाने वाली इन अवैध औद्योगिक इकाइयों को बंद नहीं करने पर दिल्ली सरकार पर 50 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया था। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को तत्काल प्रभाव से वजीरपुर, एसएमए और बदली में स्थित सभी 90 इकाइयों को बंद करने के निर्देश भी दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने भी 14 दिसंबर 2018 को दिये गये एनजीटी के सीलिंग आदेश से पिकलिंग इकाइयों को कोई राहत नहीं दी थी। ट्रिब्‍यूनल ने इस मामले में याचिकाकर्ता ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन द्वारा और एक रेजिडेंट अशोक विहार मित्र मंडल के साथ दायर याचिका पर यह आदेश दिया था। 2021 के दिल्‍ली मास्टर प्लान के अनुसार स्टेनलेस स्टील पिकलिंग इकाइयों को निषिद्ध उद्योगों की सूची में डाला गया है।

वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 200 स्टील पिकलिंग इकाइयां हैं। ये इकाइयां प्रदूषित जल का कोई ट्रीटमेंट नहीं करती हैं। यह अनुपचारित हानिकारक औद्योगिक तरल प्रदूषित पदार्थ यमुना नदी में मिलने वाली खुली नालियों में छोड़ दिया जाता है। 07 मई 2014 को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने बगैर ट्रीटमेंट का जहरीला प्रदूषित जल सीधे नालियों में छोड़ने के चलते 112औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का नोटिस जारी किया था। यह इकाइयां आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव डालती हैं। हवा और खुली नालियों में छोड़े जा रही जहरीली गैसें और पानी प्राकृतिक पारितंत्र के भी खतरा है। पिकलिंग प्रक्रिया के तहत स्टेनलेस स्टील से अशुद्धियों को हटाने के लिए उसे गर्म सल्फ्यूरिक एसिड के घोल में उपचारित किया जाता है। यह अपशिष्ट और अनुपचारित खतरनाक तरल वजीरपुर क्षेत्र में भूजल और मिट्टी व उसकी निचली परत दोनों में भारी प्रदूषण का सबब बन रहा है। उद्योगों द्वारा छोड़े गए जहरीले अपशिष्ट हानिकारक हैं और मानव स्वास्थ्य व जलीय जीवन पर बुरा प्रभाव डालते हैं। ये खतरनाक संक्षारक रसायन त्वचा पर जख्म और सांस लेने में कठिनाई का कारण बनते हैं।

एनजीटी ने अक्टूबर 2014 में इस मामले को उठाया जब उसने ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन के मूल आवेदन पर विचार किया था। तब न्यायाधिकरण ने दर्ज किया था कि डीपीसीसी हालात की निगरानी कर रही है और स्टील पिकलिंग इकाइयों के संचालन के लिए सहमति नहीं दी गई है। तब से ये उद्योग बिजली और जल आपूर्ति कनेक्शन का लाभ उठा रहे थे और गंदा पानी नदी में छोड़ रहे थे।

ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त यमुना नदी के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है, जो इन पिकलिंग इकाइयों के लिए सभी प्रकार के विषैले अपशिष्ट फेंकने के डंपिंग ग्राउंड में बदलगई है।