देश के ये पहले IAS अफसर पहुंचे माउंट एवरेस्ट

सपना जैसवाल

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले रविंद्र कुमार पहले और एक मात्र आईएएस अफसर हैं सफलता पाई है. पहली बार नेपाल के रास्ते उन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता पाई थी. इस बार वह 23 मई 2019 को तड़के 4.20 बजे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में कामयाब रहे थे

पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में तैनात रविंद्र कुमार बताते हैं कि इस बार उनका फोकस पानी था. एवरेस्ट पर चढ़कर उन्होंने लोगों से जल प्रदूषण रोकने, नदियों और सबके लिए स्वच्छ जल के अन्य स्रोतों को बचाने का आह्वान किया है. रविंद्र कुमार ने अपने अभियान का नाम “स्वच्छ गंगा, स्वच्छ भारत एवरेस्ट अभियान 2019” रखा. इस दौरान वह अपने साथ गंगा जल को दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर लेकर गए ताकि लोगों का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया जा सके. क्योंकि गंगा नदी भारत के लगभग एक करोड़ लोगों को पानी मुहैया कराती है. रविंद्र कुमार बताते हैं कि वह पहली बार 2011 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़े थे. उन्हें इसकी प्रेरणा 2011 में सिक्किम में हुए भूस्खलन से मिली थी, जहां पर्वतारोहियों को तलाशी अभियान के लिए बुलाया गया था. दूसरी बार वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 2015 में एवरेस्ट पर चढ़े, लेकिन इस दौरान उन्हें नेपाल में आए भीषण भूकंप की त्रासदियों का भी सामना करना पड़ा था.

वह बताते हैं कि 25 अप्रैल 2015 को एवरेस्ट बेस कैंप में रहने के दौरान नेपाल में भूकंप और हिमस्खलन की घटना हुई जिसमें जान माल का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. नेपाल में आई इस त्रासदी में जान जोखिम में होने के बावजूद रविंद्र कुमार ने कई लोगों की जान बचाई. बहरहाल, चीन (उत्तर) मार्ग से इस वर्ष की सफल चढ़ाई के साथ, वह गिने-चुने उन भारतीयों में से एक बन गए हैं, जिन्होंने नेपाल और चीन दोनों रास्तों से एवरेस्ट पर फतह पाई है.

काम का क्षेत्र पानी को क्यों चुना, इस सवाल पर यूपी काडर के रविंद्र कुमार कहते हैं कि मौजूदा परिदृश्य में, जल क्षेत्र पर ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि पीने का पानी बहुत जरूरी है. जून 2018 में ‘कम्पोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स’ शीर्षक से प्रकाशित नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली सहित देश के अन्य 21 शहरों में जल स्तर काफी नीचे चला गया है. 2020 तक भूजल की समस्या से 100 मिलियन लोग प्रभावित होंगे.

रविंद्र कुमार बताते हैं कि शहरी आबादी के अलावा, ग्रामीण आबादी का 85 प्रतिशत हिस्सा पीने के लिए भूजल पर निर्भर है, और 19 राज्यों के 184 जिले दूषित जल से प्रभावित हैं. अपर्याप्त जल और प्रदूषण की वजह से कई नदियां लगभग मरने की कगार पर हैं. इससे भारत की एक बड़ी आबादी प्रभावित होगी, इसलिए इस दिशा में तेजी से काम किए जाने की जरूरत है.