हिंडनपार में सूरत जैसे हादसे को न्योता दे रही मानकों के विरुद्ध संचालित शिक्षा की दुकानें

jai prakash

साहिबाबाद। सूरत के कोचिंग सेंटर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद  जिले के कोचिंग सेंटरों में फायर सेफ्टी की जांच के नाम पर औपचारिकता पूरी करने का खेल शुरू हो गया है जबकि जांच की आंच से वे स्कूल अभी तक बचे हुए हैं जो नियमों को ताक पर रख संचालित हो रहे हैं। अभिभावकों की जेब तराशने का जरिया बने इन स्कूलों में बच्चों का भविष्य और जिंदगी दोनों जोखिम में नजर आते हैं।

सूरत जैसे दर्दनाक हादसे को न्यौता देने वाले स्कूलों की टीएचए में कोई कमी नहीं है। यहाँ की विभिन्न कालोनियों में कुकुरमुत्ते की तरह छोटे-छोटे आवासीय प्लॉटों में प्ले-वे स्कूल और नर्सरी से पांचवीं तथा आठवीं कक्षा तक के स्कूल चलाये जा रहे हैं। इन स्कूलों की बुनियाद ही संबंधित विभागों में चढ़ावा चढ़ाने की वजह से पड़ी है, शायद इसलिए भी जिम्मेदार विभाग धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आते हैं। उदाहरण के लिए शालीमार हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के आवासीय भूखंड संख्या बी-66 को ही लीजिए, इस भूखण्ड पर चार मंजिला इमारत में भूतल, प्रथम तल और द्वितीय तल पर गोल्डन पाइन ट्री पब्लिक स्कूल चलाया जा रहा है, जो पूरी तरह अवैध है। प्रथमदृष्टया तो यह स्कूल आवासीय परिसर में व्यावसायिक लाभ अर्जित करने के लिए संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा क्षेत्रफल की पैमाइश पर भी उक्त स्कूल खरा नहीं उतरता, शायद इसीलिए स्कूल की कक्षाएं इमारत के ऊपरी हिस्से में भी लगाई जाती है। ऊपर जाने वाली सीढ़ियों की चौड़ाई तथा क्लासरूम मानकों पर कितने खरे हैं, यह जांच का विषय हो सकता है। ऐसे में बच्चों के लिए खेल के मैदान की बात करना ही बेमानी है। इसके अलावा कमाई की लालसा में स्कूल संचालक द्वारा दो पालियों में कक्षाएं लगाकर अभिभावकों की जेबें तो खूब हल्की की जा रही हैं मगर बच्चों की सहूलियत और सुरक्षा की कोई परवाह नहीं की जा रही। यह तो महज एक बानगी है, जबकि इस तरह चल रहे स्कूलों की फेहरिस्त लम्बी है। बात अगर फायर सेफ्टी की एनओसी की करे तो यह पाना इन स्कूलों के लिए कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि सांठगांठ से सब सम्भव होता रहा है और इसी वजह से आज हिण्डन पार में गली मोहल्लों में शिक्षा की दुकानें खुल चुकी हैं जो मानकों की धज्जियां उड़ा रही हैं। यदि निष्पक्षता से जांच हो जाए बड़ी संख्या में इन दुकानों पर ताले लटके दिखेंगे।
इस संबंध में मानवाधिकार कार्यकर्ता राजीव शर्मा कहते हैं कि सूरत के अलावा और भी ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं जब बच्चों के भविष्य व सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया है। जिले में नियमों को ताक पर रख कर चलाए जा रहे स्कूलों की संख्या में इजाफा हुआ है और इसमें दमकल विभाग और शिक्षा विभाग की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। श्री शर्मा  जल्द ही ऐसे स्कूलों और इन्हें मान्यता व एनओसी देने वाले संबंधित अफसरों की आपसी सांठगांठ की शासन स्तर से जांच किये जाने की मांग उठाने की बात कहते हैं।