एक नया नीरव मोदी बनने को तैयार है

विनोद तकिया वाला

नई दिल्ली : नीरव मोदी के बारे में हाल ही के चुनाव में भी खूब चर्चा रही, जिसने देश के बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग किया और कानून-व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाते हुए, राज खुलने से पहले ही देश छोड़कर भाग गया। ऐसे ही, एक और नीरव मोदी बनने की तैयारी में है, जिसे यदि समय रहते दबोचा नहीं गया, तो किसी भी समय वो भारत से बाहर निकल जाने के लिए तैयार है।

नये नीरव मोदी हैं- लाठर ब्रदर्स, जो पीडीएम यूनिवर्सिटी, बहादुरगढ़, हरियाणा के मालिक हैं। लाथर्स ने एक रियल एस्टेट व्यवसाय शुरू किया और 8 साल बादभी एक भी खरीदार को फ्लैट नहीं दिया। खबरें हैं कि उन्होंने विदेशों में पैसे जमा कर रखे हैं और भारत में दिवालिया होने की अर्जी डाल दी है। यह सभी को पता है कि लोग किस तरह से दिवालिया होने का नाटक करते हैं और बाद में भारत से बाहर कहीं एक भव्य लाइफस्टायल में जीते हैं। रिटायर्ड रक्षा कर्मियों, सेवारत लोगों, वरिष्ठ नागरिकों जैसे हर तरह के लोग इस बिल्डर की मनमानी से परेशान हैं। इसके अलावा, लाठर ने पिछले एक साल से अपनी पीडीएमयूनिवर्सिटी के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान भी नहीं किया है।

विभिन्न अदालतों में इनके खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। विपक्षों वकीलों को वे रिश्वत दे रहे हैं और अपने खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया से बचने के लिए वे और कुछ भी कर सकते हैं। इसलिए, कहा जा रहा है कि एक नया नीरव मोदी बनने की प्रक्रिया में है और समय रहते रोका नहीं गया, तो ये भी सरकार की पहुंच सेबाहर हो सकते हैं।

धोखाधड़ी के विरोध में, निवेशकों ने बिल्डर के खिलाफ बहादुरगढ़ में प्रदर्शन शुरू कर दिये हैं, जिनमें बच्चों और महिलाओं समेत 200 से अधिक पीड़ितपरिवार शामिल हैं, जो अपनी मेहनत की कमाई को बचाने के लिए भ्रष्ट बिल्डर के खिलाफ गर्मी के इस मौसम में भी धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

पीडि़त निवेशकों की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं: परियोजना पूर्ण हो और फ्लैटों का आवंटन किया जाये अन्यथा ब्याज सहित धन लौटाया जाये। पीडीएम समूह फ्लैट निर्माण पूरा करने का इरादा दिखाये, अन्यथा शानदार लाइफस्टायल जीना बंद करे। उसे यूनिवर्सिटी में भव्य कार्यक्रम करने की क्या जरूरत है? जो पैसा सेलिब्रिटीज पर खर्च किया जा रहा है, उसे घर-खरीदारों को लौटाना चाहिए। इनकी कंपनियों और निदेशकों व उनके परिवार केसदस्यों के पिछले 10 वर्षों तक के बैंक खातों की जांच होनी चाहिए। पिछले 3 वर्षों की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट और दिल्ली ईओडब्ल्यू एफआईआर नं. 0059 दिनांक 04/04/2019 के आधार पर निदेशकों की गिरफ्तारी होनी चाहिए। फ्लैटों के कब्जे या धन वापसी तक बैंक ऋण ईएमआई से छूट मिलनी चाहिए।

यद्यपि माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश पर, ईओडब्ल्यू द्वारा पीडीएम के प्रवर्तक – लाठर्स के खिलाफ निष्पक्ष जांच हेतु एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है। अदालती केस के चलते बिल्डर अब दबाव में है। उन्होंने खरीदारों को गंभीर परिणामों की धमकी के साथ स्थानीय गुंडों की मदद से धमकाना शुरू कर दिया है। यह सब कुछ किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह हो रहा है। मानो फिल्म की तरह कोई हीरो आयेगा और बिल्डर की मनमानी से बचायेगा। परंतु सच तो यह है कि खरीदार और निवेशक खुद ही नायक हैं और अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं। जैसा कि आम्रपाली और माल्या के मामले में हुआ, देर-सवेर से न्याय तो होता है और दोषियों को जेल जाना होता है।

पीडि़त परिवारों ने कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और प्रेस से अनुरोध किया है कि हजारों निर्दोष खरीदारों की मदद करें, जो शांति से अपने घर में रहना चाहते हैं और मेहनत की कमाई निवेश कर चुके हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर खट्टर से भी न्याय दिलाने की अपेक्षा की गयी है।